लखनऊ (ब्यूरो)। मरीज में किस तरह का और किस बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या परवीजी का इंफेक्शन है। एक बार में ही इसका पता लग जाएगा, क्योंकि पीजीआई में मल्टीप्लेक्स पीसीआर मशीन से जांच शुरू होने वाली है। इस टेस्ट से एक बार में ही 15 से अधिक इंफेक्शन का पता एक ही सैंपल से एक बार में लगाने में मदद मिलेगी। यह जानकारी इंडियन एसोसिएशन आफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट का 46वां वार्षिक सम्मेलन माइक्रोकॉन के दौरान पीजीआई में एक्सपर्ट द्वारा दी गई।

इंफेक्शन का खतरा बढता है

वर्कशॉप के पीजीआई की माइक्रोबायलॉजी विभाग की हेड प्रो। रूंगमी एसके मर्क, एरा मेडिकल कालेज की प्रो। विनीता खरे और एसजीपीजीआई के प्रो। चिन्मय शाहू और डॉ। आशिमा ने बताया कि किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज में इंफेक्शन फैलने का खतरा 50 से 80 फीसद तक बढ़ जाता है। ऐसे में इंफेक्शन का सही समय पर पता लगने से दवा द्वारा इसकी रोकथाम आसानी से की जा सकती है। इनमें वायरल फंगल इंफेक्शन की आशंका सबसे अधिक होती है। क्योंकि ट्रांसप्लांट के मरीजों में इम्यूनोसप्रेसिव चलता है जिससे प्रत्यारोपित अंग के शरीर एंटीबाडी न बने और शरीर अंग को स्वीकार करे।

तो डॉक्टर से संपर्क करें

अगर ट्रांसप्लांट के बाद बुखार, कमजोरी, थकान और कम भूख की परेशानी होने पर तुरंत अपने ट्रासप्लांट विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर को भी इन्फेक्शन के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि अकसर देखा गया है कि ट्रासप्लांट करा चुके मरीजों में टीबी की भी आशंका रहती है। ऐसे में सही समय पर इंफेक्शन के कारण का पता लगा कर सही इलाज से काफी हद तक इन्हें बचाया जा सकता है।