लखनऊ (ब्यूरो)। एलडीए की ओर से करीब 100 से अधिक ऐसे प्रतिष्ठानों की लिस्ट तैयार की गई है, जिनके यहां पार्किंग प्लेस का कॉमर्शियल यूज हो रहा है। पहले तो एलडीए की ओर से इन्हें नोटिस जारी किया जाएगा फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एलडीए की ओर से अपनी सभी योजनाओं में सर्वे कराया गया है। इसके बाद ही ऐसे प्रतिष्ठानों की लिस्ट तैयार की गई है, जिन्होंने नक्शे में तो पार्किंग प्लेस दिखाया है, लेकिन मौके पर पार्किंग स्थान नदारद है। वहां पर या तो कॉमर्शियल यूज किया जा रहा है या फिर कोई निर्माण करा लिया गया है। ऐसे प्रतिष्ठानों की लिस्ट अब फाइनल हो चुकी है और जल्द ही एलडीए प्रशासन की ओर से सभी को नोटिस जारी करने की तैयारी की जा रही है। नोटिस के माध्यम से पहले तो उनसे जवाब मांगा जाएगा और अगर कोई जवाब नहीं देता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी।

पहले भी कराया था सर्वे

एलडीए की ओर से पहले भी अपनी योजनाओं में उक्त बिंदुओं को लेकर सर्वे कराया जा चुका है। जिसके बाद कई के खिलाफ कार्यवाही भी की गई थी। इसके बावजूद कई प्रतिष्ठानों की ओर से नियम विरुद्ध पार्किंग स्पेस को समाप्त कर दिया गया है। कुछ शिकायतें मिलने के बाद ही एलडीए की ओर से फिर से नए सिरे से अपनी सभी योजनाओं जानकीपुरम, गोमतीनगर, जानकीपुरम विस्तार, गोमतीनगर विस्तार, कानपुर रोड इत्यादि में टीमें भेजकर सर्वे कराया गया और लिस्ट तैयार कराई गई। पूरी संभावना है कि इसी महीने इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अवैध निर्माणों पर भी नजर

एलडीए की ओर से अवैध निर्माणों पर भी नजर रखी जा रही है। एलडीए की ओर से सभी योजनाओं के लिए टीमें गठित की हैैं, जो निर्माणाधीन साइट्स की विजिट कर देख रही हैैं कि जो निर्माण कार्य चल रहा है, वो नक्शे के अनुरूप है या विपरीत। अगर नक्शे के विपरीत निर्माण मिलता है तो तत्काल सीलिंग संबंधी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही अगर नक्शे के अनुरूप निर्माण मिलता है तो भी सुरक्षा से रिलेटेड अन्य बिंदुओं को लेकर पड़ताल की जाएगी। सबसे ज्यादा फोकस रो हाउस प्रोजेक्ट्स पर किया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि रो-हाउसेस में ज्यादातर खेल किया जाता है और बिना नक्शा पास कराए ही मकान बनाकर बेच दिए जाते हैैं।

नक्शों की भी जांच

एलडीए की ओर से प्राधिकरण से स्वीकृत कराए गए नक्शों की भी जांच की जा रही है। जिससे यह पता चल जाएगा कि कितने निर्माणों के नक्शे पास कराए गए हैैं और कितनों के नहीं। इसके लिए नक्शों से जुड़ा डेटा खंगाला जा रहा है। इस डेटा के सामने आने के बाद टीमों की ओर से स्थलीय सत्यापन भी किया जाएगा और रिपोर्ट तैयार की जाएगी।