लखनऊ (ब्यूरो)। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब चिकित्सा के क्षेत्र में भी एक कारगर आधार साबित हो रहा है। बदलते वक्त के साथ वैज्ञानिक संस्थान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भरोसा कर रहे हैं। इसी कड़ी में कदम बढ़ाते हुए शहर के साइंटिफिक संस्थान सीएसआईआर सीडीआरआई ने कैंसर के इलाज की नई चिकित्सा विधि विकसित करने की तरफ कदम बढ़ाया है। संस्थान के वैज्ञानिक ट्रेडिशनल औषधि अनुसंधान विशेषज्ञता के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का संयोजन करके इलाज खोजने की कोशिश करेंगे।

कैंसर बन गया है बड़ी चुनौती

मौजूदा समय में कैंसर की बीमारी चिकित्सा संस्थानों के साथ साथ वैज्ञानिक संस्थानों के लिए भी चुनौती है। ऐसे में सीडीआरआई लगातार कैंसर की दवा खोजने पर काम कर रहा है। अब संस्थान के वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ले रहे हैं। इसके लिए संस्थान एमओयू का रास्ता अपना रहा है। नई चिकित्सा विधि के लिए संस्थान ने भारतीय स्टार्टअप कंपनी, श्रावती एआई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के साथ एमओयू भी साइन किया है। वैज्ञानिकों का मानना है इस एमओयू के जरिए नई दवा की खोज आसान होगी।

दोनों संस्थान नई दवा पर करेंगे शोध

संस्थान की निदेशक के मुताबिक, संस्थान ने कैंसर उपचार के लिए नए चिकित्सीय तकनीक विकसित करने के लिए एक रणनीतिक सहयोग की घोषणा की है। इस सहयोग में श्रावती एआई कैंसर रोधी गुणों वाले नए केमिकल मॉलिक्यूल को डिजाइन करने का काम करेगा, जिसमें एआई और कंप्यूटेशनल टूल्स की मदद ली जाएगी और सीडीआरआई इन नए केमिकल एंटिटी या एनसीई को विट्रो या विवो टेस्ट्स के जरिए उनका मूल्यांकन करेगा। दोनों संस्थान चुने हुए सक्रिय यौगिकों, एनसीई को परखने के बाद नई कैंसर रोधी प्रत्याशी दवा के तौर पर इनका चयन कर नैदानिक मूल्यांकन के लिए मिलकर काम करेंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि कैंसर के लिए नई थेराप्यूटिक के लिए एआई टेक्नीक के जरिए औषधि अनुसंधान को और अधिक प्रभावी, सुरक्षित, तेज एवं कम लागत वाला बनाया सकता है।

पैन कैंसर मिशन की नोडल लैब

संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि सीडीआरआई के पास कैंसर अनुसंधान में गहन विशेषज्ञता है और औषधि अनुसंधान व विकास का एक प्रदर्शित ट्रैक रिकॉर्ड भी है। यह संस्थान सीएसआईआर के पैन-कैंसर मिशन कार्यक्रम की नोडल लैब है, जिसका उद्देश्य ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट जैसे महत्वपूर्ण एवं अति महत्वपूर्ण कैंसर के इलाज के लिए दवाएं बनाकर देना है। ऐसे में यह सहयोग पैन-कैंसर मिशन के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगा।