लखनऊ (ब्यूरो)। आजकल की बिगड़ी लाइफस्टाइल का बुरा असर लोगों की सेहत पर देखने को मिल रहा है। प्रेग्नेंसी के दौरान भी महिलाएं फास्ट फूड खाना नहीं छोड़ती हैं। ऐसे में, फैट और ऑयल से उनका वजन तो बढ़ता ही है, इसका बुरा असर उनके गर्भ में पल रहे नवजात की सेहत पर भी पड़ता है। ऐसी स्थिति में बच्चे के अंडरवेट होने का खतरा बढ़ जाता है और उसे कई तरह की हेल्थ संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। यह भी एक बड़ी वजह है जिसके चलते आजकल हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के मामले बढृ रहे हैं

बीपी बढ़ने से वजन नहीं बढ़ता

केजीएमयू के ऑब्स एंड गायनी क्वीन मेरी अस्पताल की हेड प्रो। एसपी जैसवार ने बताया कि फास्ट फूड जैसे चिप्स, नूडल्स, पीजा व बर्गर आदि खाने का चलन काफी बढ़ गया है। इन चीजों में अधिक मात्रा में काबोहाईड्रेट, फैट और ऑयल होता है। कार्ब्स व फैट मदर का वजन बढ़ाते हैं और इनसे गर्भ में पल रहे बच्चे को कुछ फायदा नहीं होता। कार्ब्स की वजह से मां का बीपी बढ़ता है।

बच्चे अंडरवेट पैदा हो रहे

प्रो। जैसवार आगे बताती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को प्रोटीन, कार्ब्स, फैट, माइक्रोन्यूट्रियंट्स आदि सब चाहिए होता है। पर वे आजकल गलत चीजें खाकर पेट भर रही हैं, जिससे बच्चे को कैलरीज के अलावा कुछ नहीं मिलता। पौष्टिक आहार न मिलने से बच्चे का वजन नहीं बढ़ता है और बच्चा अंडरवेट पैदा होता है। गलत चीजें खाने से मोटापा बढ़ता है और डायबिटीज होने का खतरा भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को बढ़ता, जिससे प्रेग्नेंसी हाई रिस्क वाली हो जाती है। ऐसे रोजाना 2 से अधिक पेशेंट आ रहे हैं।

बच्चे में हो सकती हैं कई समस्याएं

क्वीन मेरी की डॉ। रेखा सचान बताती हैं कि अगर बच्चा अंडरवेट होता है, तो उसे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें हाइपोथर्मिया, लो ब्लड शुगर, दिल संबंधी समस्या या फिर सेरेब्रल पाल्सी जैसी गंभीर बीमारी तक हो सकती है। महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान पौष्टिक आहार लेना चाहिए।

रोजाना दो हजार कैलोरीज की जरूरत

संजय गांधी पीजीआई में डायटीशियन डॉ। शिल्पी त्रिपाठी ने बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को प्रतिदिन 2 हजार कैलोरीज की जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान करीब 350 एक्स्ट्रा कैलोरीज की जरूरत होती है। कार्ब्स के लिए आलू, प्रोटीन के लिए दाल, मछली, अंडा, दूध आदि और वसा के लिए ऑयल या बटर आदि की जरूरत होती है। ये सभी चीजें नापतौल के साथ लेनी चाहिए, क्योंकि ओवरईटिंग से ओवरवेट होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे बीपी या डायबिटीज हो सकती है। ऐसे में, बच्चा अंडरवेट हो सकता है या फिर मिसकैरिज होने का खतरा भी बढ़ जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कैफीन, अल्कोहल, पैक्ड फूड, आर्टिफिशियल स्वीटनर आदि से दूर रहना चाहिए। ये चीजें बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदायक हैं।

स्टैंडर्ड वेट 2.5 केजी

भारत में नवजात का स्टैंडर्ड वेट 2.5 केजी या उससे ऊपर है। अगर बच्चे का वजन जन्म के समय इससे कम होता है, तो उसे अंडरवेट माना जाता है। एक रिसर्च के अनुसार, अच्छा आहार न लेने से बच्चों में बॉडी पार्ट ठीक से डेवलप नहीं हो पाते हैं, जिसकी वजह से आगे चलकर उन्हें कई तरह की समस्याएं होती हैं।

डायट में ये चीजें करें शामिल

- खुद को हाईड्रेटेड रखें

- सीजनल फ्रूट और वेजीटेबल लें

- डायट में आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड आदि शामिल करें

- कीवी, संतरा चुकंदर आदि खाने से खून की कमी नहीं होती

- नारियल पानी का सेवन करें

- तीन बार मुख्य आहार लें

- हल्की एक्सरसाइज भी करें

ये चीजें खान से बचें

- फास्ट फूड खाने से बचें

- अधिक तला-भुना खाने से बचें

- अधिक नमक का सेवन न करें

- बाहर का खाना न खाएं

फास्ट फूड खाने से मां का तो वजन बढ़ता है, पर बच्चे को कोई पोषण नहीं मिलता और वह अंडरवेट हो जाता है। आगे चलकर उसे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

-प्रो। एसपी जैसवार, हेड, क्वीन मेरी अस्पताल

प्रेग्नेंसी के दौरान कैलारीज इनटेक का विशेष ध्यान रखना चाहिए। फास्ट फूड के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि डिस्ट्रेशनल डायबिटीज होने से कैलोरी इनटेक में कमी करनी पड़ती है, वरना बच्चे पर इसका असर पड़ता है।

-डॉ। शिल्पी त्रिपाठी, डायटीशियन, पीजीआई