लखनऊ (ब्यूरो)। उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए ओटीएस स्कीम लाई गई है, लेकिन इस स्कीम में दोहरा मापदंड देखने को मिल रहा है। आलम यह है कि जो बड़े बिजली चोर हैैं, उन्हें तो ओटीएस के अंतर्गत राहत दी जा रही है, लेकिन ऐसे लोग जो घरों में घरेलू कनेक्शन से दुकान चलाते हैैं, उन्हें राहत नहीं दी गई है, जबकि उनके ऊपर जुर्माना राशि कम है। इस मामले को लेकर उपभोक्ता परिषद ने आवाज उठाते हुए योजना पर सवाल खड़े किए हैं।

65 प्रतिशत तक की छूट

जानबूझकर बिजली चोरी करने वालों को जहां 65 प्रतिशत की छूट दी जा रही है, वहीं ऐसे बिजली उपभोक्ता जो जीविका चलाने के लिए अपने आवास में कोई दुकान या छोटे-मोटे काम कर रहे थे, उनके ऊपर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 के तहत ही 1 साल का राजस्व निर्धारण किया गया, उन्हें इस व्यवस्था में कोई छूट नहीं दी जा रही है, जिससे इस योजना पर सवाल उठने लगे हैैं। उपभोक्ता परिषद पिछले कई वर्षों से लगातार मांग कर रहा है कि दो किलो वाट तक के लिए गरीब ग्रामीण व शहरी बिजली उपभोक्ता, जो अपने घर में दुकान चला रहे हैं, उन्हें आवासीय कनेक्शन में बिजली का उपयोग करने की छूट दी जाए।

गरीब उपभोक्ताओं के साथ अन्याय

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि गरीब बिजली उपभोक्ताओं के साथ अन्याय किया जा रहा है। उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन कमर्शियल विंग व बिजली कंपनियों से मालूम किया तो पता चला कि केवल बिजली चोरी करने वाले 135 के मामले में ही छूट दी जा रही है, 126 के मामले में राजस्व निर्धारण में छूट नहीं दी जा रही है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष का कहना है कि पूरे उत्तर प्रदेश में लाखों की संख्या में ऐसे बिजली उपभोक्ता हैैं, जिन पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 के तहत राजस्व निर्धारण किया गया है, उनको छूट क्यों नहीं दी गई। इस मामले पर बहुत जल्द ही उपभोक्ता परिषद पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से बात करेगा, ताकि छोटे बिजली उपभोक्ताओं को भी ओटीएस के अंतर्गत राहत मिल सके और वे भी योजना का लाभ ले सकें।