लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के क्वीन मेरी की डॉक्टर्स और सर्जन्स की टीम ने गर्भाशय ग्रीवा के एट्रेसिया (जन्मजात विकार जिसमें योनि और गर्भाशय ग्रीवा अविकसित होती है) को सिग्माइड वैजिनोप्लेस्टी (आंतों से योनि का रास्ता) बना कर सही किया। जन्मजात प्रजनन संबंधी विसंगातियों के उपचार में यह एक महत्ववपूर्ण कदम है। सर्जरी के बाद महिला मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। केजीएमयू वीसी प्रो। सोनिया नित्यानंद ने पूरी टीम को बधाई दी है।
पांच हजार में एक को होती है समस्या
डॉ। पुष्पलता शंखवार ने बताया कि गर्भाशय ग्रीवा एट्रेसिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा और योनि अनुपस्थित या अविकसित होती है, जिससे मासिक धर्म नहीं आता है। गर्भाशय में मासिक खून जमा होने से पेट में अत्यधिक दर्द, यौन रोग एवं बांझपन तक हो सकता है। प्रो। पीएल संखवार ने बताया कि ऐसी दुर्लभ स्थिति लगभग 5000 महिलाओं में से एक को प्रभावित करती है। बताया गया कि बाराबंकी निवासी एक 17 वर्षीय अविवाहित महिला सुनीता (बदला हुआ नाम) को गर्भाशय ग्रीवा एट्रेसिया की समस्या थी, जिसे चार सर्जरी के बाद भी ठीक नहीं किया जा सका। इसके बाद उसे केजीमयू रेफेर किया गया, पर बार-बार योनि सर्जरी के बाद भी उसकी समस्या दूर नहीं हुइ, जिससे गर्भाशय के अंदर मासिक धर्म के रक्त के संग्रह के कारण असहनीय पीड़ा होती थी। यहां तक कि कुछ चिकित्सकों ने उसे गर्भाशय निकालने की सलाह भी दी थी।
सर्जरी बेहद जरूरी है
डॉ। एसपी जैसवार ने बताया कि सर्विकोवैजिनल एट्रेसिया में सर्जिकल उपचार चुनौतीपूर्ण होता है। क्योंकि इसमें ग्राफ्ट किया गया ऊतक न तो स्खलित होना चाहिए और न संकुचित होना चाहिए। साथ ही संतोषजनक सौंदर्य परिणाम प्रदान करना चाहिए। पीडियाट्रिक सर्जन डॉ। एसन कुरील ने बताया कि वैजिनोप्लेस्टी के लिये सिग्माइड कोलन (बड़ी आंत) को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि यह वैजिनल ऊतकों के सामान होता है। जिससे अधिक प्रभावी परिणाम मिलते हैं। उन्होंने बताया कि सिग्माइड कोलन वैजिनोप्लेस्टी बड़े लुमेन, आघात प्रतिरोधी मोटी दीवारें और पर्याप्त सार्व के कारण पसंद का उपचार है। इस से नीचे के रास्ते को चिकनायी मिलती है। लंबे समय तक फैलाव की आवश्यकता नहीं होती है और कम समय में ठीक हो जाता है।
जागरूकता बेहद जरूरी है
स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ। अंजू अग्रवाल ने बताया कि लोगों में यह जागरूकता जरूरी है कि जन्मजात प्रजनन विकार शल्य चिकित्सा जैसा जटिल ऑपरेशन विशेषज्ञों द्वारा गहन जांच के बाद ही कराने चाहिए। वहीं, डॉ। सीमा महरोत्रा ने बताया कि ऑपरेशन के बाद से मरीज को नियमित मासिक धर्म शुरू हो गया है और दर्द की समस्या से निजात मिल गई है।
ये रहे टीम में शामिल
डॉक्टर्स की टीम में डॉ। एसपी जैसवार, डॉ। सीमा महरोत्रा, डॉ। पीएल शंखवार और डॉ। मंजूलता वर्मा शामिल रहीं। वहीं, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ। एहसान सिद्दीकी, डॉ। श्रुति, डॉ। ख्याति और सिस्टर ममता भी टीम में शामिल थे। बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के डॉ। एसएन कुरील भी टीम का हिस्सा थे।