लखनऊ (ब्यूरो)। सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) के साइंटिस्ट द्वारा इंफ्लेमेट्री बाउल डिजीज (आईबीडी) के कारणों को लेकर रिसर्च की गई। जहां साइंटिस्ट द्वारा ओआरएमडीएल-3 जीन की खोज की गई, जो इस बीमारी का मुख्य कारक है। पहले इस बीमारी के होने का मुख्य कारण पता नहीं था। ऐसे में इस जीन की खोज होने से बीमारी को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। यह रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बॉयोलॉजिकल केमिस्ट्री में पब्लिश हो चुकी है।
तीन संस्थाओं ने किया रिसर्च
यह रिसर्च सीडीआरआई के साथ केजीएमयू और संजय गांधी पीजीआई के करीब 18 साइंटिस्ट और डॉक्टर्स द्वारा की गई थी। वहीं, मुख्य रिसर्चकर्ता सीडीआरआई के साईंटिस्ट डॉ। अमित लहरी ने बताया कि आईबीडी जिसे अल्सरेटिव कोलाइटिस भी कहते हैं, एक प्रकार की आंत की बीमारी है। जिसको लेकर लगातार रिसर्च किया जा रहा था। जहां मरीजों के कोलोन सैंपल लेकर जांच किया गया। जिसमें ओआरएमडीएल-3 जीन की खोज की गई जो इसके गंभीरता की ओर इंगित करती है। अगर ओआरएमडीएल-3 जीन मरीज में ज्यादा हुआ तो इन्फ्लेमेशन को बढ़ाने का काम करता है यानि जीन का लेवल जितना ज्यादा होगा समस्या उतनी ही गंभीर होगी।
ट्रीटमेंट की खोज हो सकेगी
रिसर्च में यह भी पाया गया कि ओआरएमडीएल-3 जीन के चलते बचपन में अस्थमा को ट्रिगर कर सकता है। यह जीन आमतौर पर कोलोन और रेक्टम के इनरमोस्ट लाइनिंग को अफेक्ट करता है। ऐसे में अगर इस जीन को कंट्रोल कर सके तो इस बीमारी का इलाज मिल सकेगा। इसके लिए दवा और ट्रीटमेंट की खोज की जा रही है।
यह होता है आईबीडी
आईबीडी पाचन से संबंधित एक बीमारी है, जो कई प्रकार की समस्याओं को बढ़ाती है। इसमें थकान, दस्त, ऐंठन, पेट में दर्द और पाचन से जुड़ी समस्याएं रहती हैं। ये समस्याएं महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलती हैं।