लखनऊ (ब्यूरो)। हार्ट का मांस जब बढ़ जाता है, उसे कार्डियक हाइपरट्रॉफिक कहते हैं। अभी इस बीमारी की कोई दवा नहीं है। ऐसे में जीन थेरेपी अप्रोच से उसको ठीक कर सकते है। अभी इसके रिजल्ट शुुरुआती स्टेज में दिखाएं गये हैं और जीन थेरेपी अप्रोच से क्रिएटिन काइनेज एनजाइम को बढ़ा देते हैं। जब यह ह्यूमन सेल्स में अधिकता में होने लगता है, तो उससे कार्डियक हाइपरट्रॉफिक कम होने लगती है। यह जानकारी साइंटिस्ट डॉ। आशीष गुप्ता ने सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च में नेशनल मैगनेटिक रेजोनेंस सोसाइटी द्वारा आयोजित प्रोग्राम के दौरान दी।

नार्थ में समस्या ज्यादा होती

प्रोग्राम के दौरान डॉ। आशीष ने आगे बताया कि जीन थेरेपी अप्रोच के दूसरे स्टेज में हम वैक्सीन बनाने की दिशा में काम कर सकते है। जिसके तहत हम मरीज को इंजेक्शन की मदद से साल में दो या तीन बार वैक्सीन देकर इस बीमारी को खत्म कर सकते हैं। वहीं, एम्स दिल्ली से आईं डॉ। उमा शर्मा ने बताया कि सिलिएक बीमारी गेंहू खाने से होती है, क्योंकि ग्लुटिन के पेट के अंदर जाने के बाद छोटी आंते में इंफ्लेमेशन होता है। यह बीमारी नार्थ इंडिया में ज्यादा करीब 1.34 पर्सेंट तक होती है। बीमारी का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट, हिस्टोपैथी टेस्ट व एंडोस्कोपी करना होता है। इसी समस्या को देखते हुए बायोमार्कर बनाना है।

बायो मार्कर से पता लगा सकते

डॉ। उमा ने आगे बताया कि सिलिएक बीमारी में पेट और दिमाग में भी असर हो सकता है। इसमें, ऑटोइम्यून बीमारी और एनिमिया हो सकता है। ऐसे में ऐलनटोइन और दूसरा हिस्ट्रीडीन और ग्लाइसिन अमीनो एसिड कम हो जाते हैं। ऐसे में बायोमार्कर बनाकर इनको टेस्ट कर सकते हैं। वहीं, अगर किसी को गेंहू से बने खाद्य पदार्थ खाने के बाद पेट में दर्द, डायरिया, उल्टी, ब्लाटिंग, निचले हिस्से में दर्द, ग्रोथ यानि हाइट नहीं बढ़ रही, कमजोरी हो रही आदि लक्षण है तो सिलिएक का टेस्ट करवाना चाहिए। इसके अलावा साइकियाट्रिक समस्या भी हो सकती है।