लखनऊ (ब्यूरो)। यूपी समेत राजधानी में नाबालिग से रेप करने के मामले में ज्यादातर आरोपी उïनके परिचित व घर के करीबी लोग ही होते हैं। राजधानी में 60 प्रतिशत नाबालिग रेप केस में 98 प्रतिशत परिचित की भूमिका सामने आई है। रेप के आरोपी अपने आस-पास और परिचित के नाबालिग बच्चों को शिकार बनाते हैं। आंकड़ों के अनुसार, बालिग से ज्यादा नाबालिग के रेप के मामले ज्यादा दर्ज हुए है, जिनकी जांच में 98 प्रतिशत आरोपी परिचित ही सामने आए हैं जबकि एक से दो प्रतिशत ही अज्ञात आरोपियों ने वारदात को अंजाम दिया।

फ्रेंडशिप व शादी का झांसा देकर रेप

15 से 17 साल की नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले में फ्रेंडशिप और शादी का झांसा देकर भी रेप के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक्सपर्ट इसके पीछे सोशल मीडिया और सोसाइटी के बदलते परिवेश को जिम्मेदार ठहराते हैं। वहीं, छोटी बच्चियों से रेप केस की जांच में उनके परिवार के करीबी व परिचित लोगों के शामिल होने की भी बात सामने आई है।

रेप करने वालों में करीबी सबसे ज्यादा

मेंटल हेल्थ और चाइल्ड एब्यूज के क्षेत्र में काम कर रहे एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेप करने वाले ज्यादातर लोग पीड़िता के करीबी होते हैं। एक बात जो इन सभी अपराधियों में कॉमन होती है वह यह है कि बच्चों का रेप करने वाला एक बहुत ही चालाक और शातिर इंसान होता है। बच्चियों के साथ रेप या यौन शोषण करने वाले ज्यादातर लोग घर परिवार के परिचित ही होते हैं। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट एक्सपर्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, रेप करने वाले ज्यादातर लोग दिमागी बीमारी का शिकार होते हैं, उन्हें इलाज की जरूरत होती है।

पुलिस सजा दिला रही पर अपराध कम नहीं हो रहे

लखनऊ पुलिस रेप, मर्डर, पाक्सो एक्ट, समेत अन्य अपराध के 26 केस में 33 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा दिलाई। खासतौर पर पाक्सो एक्ट और रेप के 13 केस में पुलिस ने 13 अभियुक्तों को 20 साल की कठोर कारावास की सजा दिलाई। कई ऐसे केस हैं जिनमें पुलिस ने नाबालिग से रेप केस में सात से दस दिन के भीतर चार्टशीट लगाकर आरोपियों को न केवल सलाखों के पीछे भेजा बल्कि उनके मृत्यु दंड लेकर आजीवन कारावास की सजा भी दिलाई है। इसके बाद भी नाबालिग से रेप की वारदात के मामले कम नहीं हो रहे हैं।