लखनऊ (ब्यूरो)। ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की हेड प्रो। तुलिका चंद्रा ने बताया कि विभाग में 250-300 डोनेशन होते हंै। इसमें 150-180 के आसपास प्लेटलेट्स बन जाती हैं। विभाग में आने वाले सभी डोनर्स के प्लेटलेट्स काउंट होते है फिर चाहे वो बीमार हो या न हो। अगर प्लेटलेट्स कम निकली तो ब्लड लेने से मना नहीं करते हैं क्योंकि ड्रग एंड कास्मेटिक लॉ में भी कोई नियम नहीं कि नार्मल ब्लड डोनेशन में जांच करें। हम करते है कि ताकि किसी को कम प्लेटलेट न चढ़ा दें।

यह कोई छोटा आकड़ा नहीं
प्रो तुलिका चंद्रा के मुताबिक यह देखकर हैरानी हो रही है कि करीब 40 फीसद डोनर्स की प्लेटलेट्स काउंट्स 1.50 लाख से कम हैं और इनमें कोई बीमारी भी नहीं है। विदेशों की बात करें तो वहां प्लेटलेट्स कम हो तो ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है। ऐसे में यह भी हो सकता है कि विदेशियों के मुकाबले भारतीयों में प्लेटलेट्स की रेंज कम हो। कई अस्पतालों से इस तरह की बातें सामने आ रही हैं।

चांस फाइंडिंग में आया सामने
यह हम लोगों की चांस फाइंडिंग है। इसे स्टेब्लिश करने के लिए रिसर्च करने की जरूरत है, क्योंकि 40 फीसद कोई छोटा आंकड़ा नहीं है। ऐसे में इसे और बड़े पैमाने पर देखना होगा। हमें इंडियन कंटेक्स्ट में रेंज के बारे काम करना होगा, क्योंकि बीमारी में प्लेटलेट्स तो कम होती ही हैं लेकिन हेल्दी लोगों की प्लेटलेट्स 1.20-1.40 लाख रेंज के बीच की हंै और एक लाख के नीचे नहीं जा रही हंै। ऐसे में भारतीय परिदृश्य में इसे स्टेब्लिश करना जरूरी है।

40 फीसद प्लेटलेट्स डोनर में मानक से कम रेंज पाई गई है लेकिन डोनर पूरी तरह से हेल्दी हैं। ऐसे में और रिसर्च कर भारतीय मानक तय किए जा सकते है।
- प्रो तुलिका चंद्रा, केजीएमयू