लखनऊ (ब्यूरो)। टेक्नोलॉजी और बेहतर डायग्नोसिस से समय रहते ट्यूमर का पता चल रहा है। जिससे ट्यूमर के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हालांकि, समय रहते पता चलने पर न्यूरो सर्जन को ट्यूमर हटाने में मदद भी मिल रही है। वहीं, गामा नाइफ जैसी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की मदद से छोटे-छोटे ट्यूमर को हटाना आसान हो गया है।

बेहद एडवांस्ड टेक्नोलॉजी

लोहिया संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड डॉ। दीपक सिंह ने बताया कि गामा नाइफ जैसी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की मदद से बिना खोपड़ी खोले ही 3 सेमी से कम साइज के ट्यूमर को आसानी से ट्रीट किया जा सकता है। जल्द यह सुविधा संस्थान को मिलने वाली है। इसके अलावा जल्द ही ओटी की संख्या भी बढ़ने वाली है, जिससे सर्जरी की वेटिंग कम होगी। वहीं, बड़ा ट्यूमर जो खूनी है, उसकी ब्लड सप्लाई बिना खोपड़ी खोले काट देते हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन कम होने से ट्यूमर निकालना आसान हो जाता है। यह सुविधा प्रदेश के सरकारी संस्थानों में केवल लोहिया संस्थान में है।

जल्द पता चल रहा ट्यूमर का

डॉ। दीपक के मुताबिक, अब डायग्नोसिस अच्छा हो गया है यानि सीटी स्कैन और एमआरआई हर जगह हो रहा है। साथ ही लोग भी अवेयर हो गए हैं, जिसके कारण जांच से समय रहते ट्यूमर का पता चल रहा है। विभाग में हर माह 50-60 केस ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेट कर रहे हैं, जिसमें 25 पर्सेंट हाई ग्रेड के कैंसर हैं। यह मिडिल ऐज यानि 35-50 उम्र में ज्यादा मिलता है।

ओपीडी में आधे मरीज ब्रेन ट्यूमर के

संजय गांधी पीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ। अरुण श्रीवास्तव के मुताबिक, ओपीडी में आने वाले मरीजों में आधे मरीज ब्रेन ट्यूमर के होते हैं। रोजाना औसतन 50 रोगी ब्रेन ट्यूमर के आ रहे हैं। किसी भी ट्यूमर का जितनी जल्दी ऑपरेशन होगा, उसकी सफलता दर उतनी ज्यादा होती है।

गैजेट्स आने से बढ़ी सफलता दर

पीजीआई के न्यूरो सर्जन डॉ। कमलेश सिंह भैसोड़ा ने बताया कि आधुनिक तकनीक व गैजेट्स आने से ब्रेन ट्यूमर की सफलता दर 90 फीसदी तक संभव हो गई है। इसमें दूरबीन, न्यूरो मानीटरिंग आदि गैजेट्स से ट्यूमर के पूरे हिस्से को निकालना संभव हो गया है, जबकि बिनाइन ट्यूमर वाले मरीजों के ऑपरेश्न के बाद मरीज सामान्य जीवन जी रहे हैं।

इन लक्षणों का रखें ध्यान

- तेज सिर दर्द के साथ उल्टी होना

- दौरे आना

- दिमाग का ठीक से काम न करना

- दोहरा या धुंधला दिखना

- याद रखने में कठिनाई होना

- बोलने में कठिनाई होना

डायग्नोस की बेहतर सुविधा से ब्रेन ट्यूमर का पता जल्द चल रहा है, जिससे मरीज को ट्रीट करने में भी आसानी होती है। 35-50 वर्ष के लोगों में ट्यूमर की समस्या ज्यादा है।

-डॉ। दीपक सिंह, लोहिया संस्थान

ओपीडी में आने वाले आधे मरीजों में ब्रेन ट्यूमर की समस्या देखने को मिल रही है। इसका जितनी जल्दी इलाज हो, मरीज के लिए उतना ही बेहतर होता है।

-डॉ। अरुण श्रीवास्तव, संजय गांधी पीजीआई