लखनऊ (ब्यूरो)। नवजात के पूर्ण विकास के लिए मदर मिल्क से बढ़कर दूसरा विकल्प नहीं हो सकता है। कई बार कुछ ऐसी दिक्कतें आती हैं कि नवजात को मां का दूध नहीं मिल पाता है। जिससे नवजात को दूसरी व्यवस्थाओं के ऊपर निर्भर होना पड़ता है। इसे देखते हुए केजीएमयू में मिल्क बैंक की सुविधा शुरू हुई है। जहां मदर मिल्क डोनेशन के तहत नवजातों को मिल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं, डफरिन अस्पताल में भी जल्द ही लैक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट शुरू होने वाली है, ताकि नवजात को उसकी मां का दूध समय पर मिल सके।

हर माह 3 से 5 लीटर डोनेट
केजीएमयू में मिल्क बैंक माइक्रोबायलॉजी, आब्स एंड गाएनी और पीडियाट्रिक विभाग द्वारा मिलकर मैनेज किया जा रहा है। मिल्क की प्योरिटी और इंफेक्शन फ्री रखने की जिम्मेदारी माइक्रोबायलॉजी विभाग पर है। इसकी क्वालिटी एश्योरेंस नोडल डा। शीतल वर्मा ने बताया कि मिल्क बैंक की मदद से जरूरतमंद नवजातों को काफी मदद मिल रही है। हर माह 3 से 5 लीटर मिल्क डोनेट होकर स्टोर हो रहा है। बैंक में मिल्क वैसे तो 6 माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है लेकिन अभी जितना आता है वो सब खत्म हो जाता है।

सुरक्षित मिल्क उपलब्ध कराना लक्ष्य
डा शीतल वर्मा ने बताया कि हमारे यहां लैक्टेशनल काउंसलर है जो मदर्स को मिल्क डोनेट करने के लिए काउंसलिंग का काम करती है। पीडियाट्रिक विभाग की हेड डा। माला कुमार के निर्देशन में जागरुकता अभियान चलाया जाता है, ताकि अधिक से अधिक मिल्क डोनेट कराया जा सके। इसके बाद मदर की जाचं होती है कि कोई इंफेक्शन जैसे हेपेटाइटिस या एसआईवी जैसी बीमारी न हो। मिल्क क्वालिटी इंश्योर करते हैं ताकि कोई इंफेक्शन या आउटब्रेक न हो। सभी टेस्टिंग के बाद ही मिल्क एनआईसीयू में जाता है। यह मिल्क खासतौर पर प्री-टर्म नवजात, मां जो दूध नहीं पिला सकती या जिनका दूध नहीं बनता है आदि समस्या होती है उन बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर मिल्क उपलब्ध कराया जाता है।

जल्द शुरू होगी सुविधा
डफरिन अस्पताल के सीनियर पीडियाट्रिशियन और लैक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट के नोडल इंचार्ज डा इमरान ने बताया कि मां के दूध में जो पोषण होता है उसका दूसरा कोई विकल्प नहीं है। कई बार समस्या आती है जिससे मां का दूध नवजात को नहीं मिल पाता है। इसे देखते हुए अस्पताल में मिल्क स्टोरेज यूनिट शुरू होने वाली है। इसके लिए ब्रेस्ट पंप और फ्रिज आ चुका है। एनएचएम से काउंसलर की तैनाती होनी है, जो मदर्स की काउंसलिंग कर मिल्क कलेक्ट करने का काम करेंगी। इसके तहत जिन मांओं को प्रसव के बाद कम वजन के बच्चे या दूध नहीं आ रहा आदि की समस्या होती है, उनका ही दूध निकालकर उनके ही बच्चों को पिलाया जाएगा।

मिल्क बैंक से जरूरतमंद नवजातों को दूध उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके लिए लगातार लोगों को जागरुक किया जा रहा है। साथ ही प्योर और इंफेक्शन फ्री मिल्क दिया जा रहा है।
- डा शीतल वर्मा, केजीएमयू

लैक्टेटिंग मैनेजमेंट यूनिट जल्द शुरू होने वाली है। इसके लिए सभी जरूरी उपकरण भी आ चुके हैं। काउंसलर के आते ही इस यूनिट को चालू कर दिया जाएगा।
- डा इमरान, डफरिन अस्पताल