लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई में करीब ढाई साल बाद लिवर ट्रांसप्लांट दोबारा शुरू हो गया। यहां स्थापित लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट में अगस्त माह में पहला ट्रांसप्लांट हुआ। हेपेटोलॉजी विभाग इसी माह दूसरा लिवर ट्रांसप्लांट करने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। अभी तक केवल केजीएमयू में ही लिवर ट्रांसप्लांट हो रहा था। मरीजों की वेटिंग कम होने के साथ-साथ सस्ते ट्रांसप्लांट का भी फायदा मिलेगा।
2018 में हुआ था शुरू
पीजीआई में सबसे पहले 2001 में लिवर ट्रांसप्लांट हुआ था। जहां 6 वर्ष के दौरान 16 लिवर ट्रांसप्लांट में महज 2 ही सफल हुए थे। जिसके बाद कम सफलता दर होने के कारण इसे बंद कर दिया गया था। वहीं, करीब 6 वर्ष पहले लगभग 200 करोड़ की लागत से लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट स्थापित की गई थी। साथ ही 50 लाख के जरूरी उपकरण भी खरीदे गये। जिसके बाद 2018 में इसका लोकापर्ण किया गया था। उस समय गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी सर्जरी विभाग को इसकी कमान सौंपी गई थी। पर इसके बावजूद एक भी लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हो सका, जिसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही थी।
लंबी वेटिंग चल रही है
इसके बाद निदेशक प्रो। आरके धीमन के निर्देशन में 2021 में यहां पर हेपेटोलॉजी विभाग की शुरुआत की गई। जिसमें डॉक्टर समेत अन्य जरूरी स्टाफ की भर्ती की गई थी। हालांकि, इसके बाद से यहां पर ओपीडी सेवाएं शुरू हो चुकी हैं, जहां लगातार मरीज देखे जा रहे हैं। जिसमें 3-4 मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। हर माह करीब 15 मरीज लिवर ट्रांसप्लांट वाले आ रहे हैं, पर बीते दो साल से कोई ट्रांसप्लांट नहीं हो सका है। जिसके कारण लिवर ट्रांसप्लांट के लिए लंबी वेटिंग चल रही है। कई मरीज निजी अस्पतालों में महंगा ट्रांसप्लांट कराने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं, सबसे ज्यादा दिक्कत गरीब मरीजों को रही है।
अगस्त में हुआ पहला ट्रांसप्लांट
निदेशक प्रो। आरके धीमन ने बताया कि संस्थान को ट्रांसप्लांट हब बनाना है। इसी के तहत लिवर ट्रांसप्लांट को दोबारा शुरू कर दिया गया है। बीते माह एक ट्रांसप्लांट किया जा चुका है, जबकि दूसरा ट्रांसप्लांट इसी माह प्रस्तावित है। जिसके लिए मरीज और डोनर की जरूरी जांचें की जा रही हैं।
संस्थान में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू हो चुका है। दूसरा ट्रांसप्लांट इसी माह प्रस्तावित है। संस्थान को ट्रांसप्लांट हब बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।
-प्रो। आरके धीमन, निदेशक, संजय गांधी पीजीआई