लखनऊ (ब्यूरो)। मेडिकल फील्ड में टेक्नोलाजी खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल लगातार बढ़ता है। जिसका फायदा भी डॉक्टर्स और मरीजों को मिल रहा है। इसी के तहत अब एआई की मदद से यह आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि किसी को डिप्रेशन या एंग्जायटी तो नहीं है। इसके लिए संजय गांधी पीजीआई स्थित मेडटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस द्वारा एक मोबाइल बेस्ड एप 'मनोदयम तैयार किया गया है, जो महज 20 सेकेंड में रिजल्ट दे देता है। अधिकारी जून माह में इसे लॉन्च करने की तैयारी कर रहे है।

आवाज के सैंपल से लगेगा पता

मेडटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के एक स्टार्टअप के फाउंडर और सीईओ संजय भारद्वाज ने बताया कि हम लोगों ने आईआईटी कानपुर की मदद से एआई बैकग्राउंड के आधार पर एप तैयार किया है। यह लोगों की आवाज के सैंपल से बता देगा कि उसे डिप्रेशन या एंग्जायटी तो नहीं है। इसके लिए करीब 4 हजार लोगों की आवाज का सैंपल लिया गया, जिसमें स्कूली छात्र, आफिस जाने वाले और बुजुर्ग आदि सभी शामिल किए गये थे। इसमें हमें 80 पर्सेंट तक सफलता मिली। अगर और सैंपल लिया जाए तो यह दर 90 पर्सेंट तक हो जाएगी।

घर बैठे जान सकेंगे रिजल्ट

संजय भारद्वाज बताते हैं कि भारत में करीब 14 पर्सेंट लोग मेंटल हेल्थ की समस्या से जूझ रहे है। यह उन लोगों की संख्या है जो डॉक्टर के पास जा रहे हैं। कई लोग डर या अन्य वजह से डॉक्टर के पास नहीं जा पाते हैं। भारत में डिप्रेशन व एंग्जयाटी हेल्थ इश्यू में 5-6 नंबर पर है, जबकि यूरोप के देशों में यह समस्या टॉप 3 बीमारियों में आती है। ऐसे में, यह एप उनकी मदद कर सकता है। जहां कुछ सवालों के जवाब रिकार्ड करने के बाद आप अपना रिजल्ट घर बैठे ही जान सकेंगे और आगे चलकर एक्सपर्ट डॉक्टर की मदद ले सकेंगे।

ऐसे करेगा काम

संजय भारद्वाज ने आगे बताया कि एप में डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानकों के आधार पर कुछ सवालों को लिया गया है, जिनका जवाब यूजर को अपनी आवाज में रिकार्ड करके देना होना, जिसके बाद एआई अपना डेटा एनालिसिस करेगा और रिजल्ट देगा। जिसमें 20 सेकेंड्स का वाइस सैंपल जाएगा। इसमें अलग-अलग भाषा जैसे हिंदी, अंग्रेजी व स्पैनिश में भी जवाब दिया जा सकेगा। जहां एप आवाज का एको, स्पीच का रेट, वाइस टोन, शिमर यानि बोलते वक्त कांपना और पिच रेट यानि तेज या धीरे बोलना आदि कई पहलुओं का एनालिसिस करेगा। इसी के आधार पर रिजल्ट मिलेगा।

इतने लोग हुए शामिल

सीईओ संजय ने बताया कि ट्रायल में 15-23 साल के 70 स्कूली छात्र, 23- 45 साल की उम्र के कार्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले 150 युवा और 60 साल से अधिक उम्र के 80 बुजुर्गों की आवाज के कई चरण में करीब चार हजार नमूने लिये गये थे। इनमें एम्स दिल्ली के साइकियाट्रिस्ट की मदद से डिप्रेशन पीड़ित लोगों के नमूने लेकर परीक्षण किया गया और आईआईटी कानपुर में सैंपल टेस्ट किया गया।

कई पहलुओं पर देते हैं ध्यान

साइकियाट्रिस्ट डॉ। देवाशीष शुक्ला ने बताया जब भी कोई पेशेंट आता है तो उसका कमरे में आना, बैठने का तरीका व व्यवहार आदि भी देखा जाता है। साथ ही उससे कई सवाल पूछे जाते हैं। उसके जवाब और उसके बोलने के तरीके पर गौर किया जाता है। इसके अलावा परिवार द्वारा दी गई सूचना आदि को भी ध्यान में रखा जाता है।

डिप्रेशन के लक्षण

- बोलचाल में बदलाव

- एकांत में बैठना

- शांत रहना

- चिढ़चिढ़ापन

- अपने पसंद का काम भी न करना

ऐसे करें बचाव

- योगा करें

- मेडिटेशन करें

- अपनों से बात करें

- हॉबी को फॉलो करें

आवाज के आधार पर डिप्रेशन व एंग्जायटी का पता लगाया जा सकेगा। यह एप जल्द ही लॉन्च किया जाएगा।

-संजय भारद्वाज, फाउंडर एंड सीईओ