लखनऊ (ब्यूरो)। टशन, मौजमस्ती, नशा, वर्चस्व, सोशल मीडिया पर एक अलग पहचान बनाने के लिए नाबालिग बहुत तेजी से अपराध की दुनिया में कदम रख रहे हैं। आए दिन लखनऊ पुलिस अपराध में लिप्त नाबालिगों को गिरफ्तार करती है। ये नाबालिग अपने शौक पूरे करने के लिए अपने भविष्य को भी दांव पर लगा रहे हैं। बीते कुछ वक्त में कितने नाबालिग पकड़े गए? वे किन-किन वारदातों में शामिल रहे? उनके क्रिमिनल बनने की वजह? उनकी मॉडस ऑपरेंडी क्या रहती है? पढ़ें ऐसे तमाम सवालों की पड़ताल करती दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की खास रिपोर्ट

केस 1

नवंबर 2023 को चिनहट थाना क्षेत्र में पांचवीं क्लास की छात्रा को किडनैप कर सामूहिक दुष्कर्म करने का मामला सामने आया था। दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी छात्रा को बेसुध हालत में छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने बाद में दो नाबालिग को गिरफ्तार किया था।

केस 2

जून 2023 को मड़ियांव में तीन नाकाबपोश नाबालिगों ने एक ज्वेलर्स की दुकान में घुसकर लूटपाट की नाकाम कोशिश की थी। पुलिस ने आरोपियों को कुछ ही दिनों बाद सीसीटीवी कैमरों की मदद से पहचान कर गिरफ्तार कर लिया था।

केस 3

दिसंबर 2023 में इंदिरानगर थाना क्षेत्र में एक महिला ने शिकायत में बताया था कि एक युवक उसकी बेटी से छेड़खानी करता है। पुलिस ने केस दर्ज करने के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया तो पता चला कि आरोपी नाबालिग है।

120 से अधिक पकड़े गए नाबालिग

हाल के दिनों में पुलिस ने दुष्कर्म, चोरी, लूट समेत अन्य आपराधिक वारदातों में कई नाबालिगों को गिरफ्तार किया है। अभी तक जिन नाबालिगों पर पहले से केस दर्ज हैं, उनमें ज्यादातर चोरी या फिर छोटी-मोटी वारदातों को अंजाम देने के हैं, लेकिन अब ज्यादातर केसों में ट्रेंड बदला दिख रहा है। अब नाबालिगों का नाम हत्या, फिरौती, अपहरण समेत अन्य संगीन वारदातों में भी सामने आ रहा है। पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक साल में शहर के अलग-अलग हिस्सों से तकरीबन 120 नाबालिगों को पकड़ा गया है, जो चोरी, स्नैचिंग, हत्या का प्रयास, हत्या समेत अन्य मामलों में शामिल थे।

कानून का उठा रहे फायदा

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि क्राइम करने वाले नाबालिगों को अच्छी तरह पता होता है कि क्राइम के बाद इनको फायदा मिलेगा और चंद ही दिनों में वे बाल सुधार गृह से बाहर आ जाएंगे। कई बार कम सजा वाले अपराधों में तो नाबालिग को परिवार को ही सौंप दिया जाता है। इस वजह से अक्सर देखा गया है कि बड़े गैंग अपने फायदे के लिए नाबालिगों बच्चों का इस्तेमाल करते हैं और इनको हथियार और पैसा दिया जाता है।

सोशल मीडिया पर छाने की कोशिश

जेसीपी क्राइम आकाश कुलहरि के मुताबिक, नाबालिगों को सोशल मीडिया पर छा जाने का इतना जुनून रहता है कि वे फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम समेत अन्य दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने अकाउंट बनाकर वहां हथियारों के साथ वीडियो और गाने तक डाल देते हैं, ताकि इनकी फैन फॉलोविंग बढ़े और वे सोशल मीडिया के माध्यम से अपना वर्चस्व कायम कर सकें।

बनती है बिहेवियर रिपोर्ट

आंकड़ों के मुताबिक, देश में 10 से 17 साल के बच्चों की संख्या 20 करोड़ से अधिक है। अपराध करने वाले बच्चों का बिहेवियर एनालिसिस किया जाता है। अधिकतर बच्चों में ड्रग एडिक्शन देखा गया है। बिहेवियर से पता चलता है कि ये बच्चे स्मैक, गांजा, इंजेक्शन या फिर शराब के इस कदर एडिक्ट होते हैं कि उसे पाने के लिए कुछ भी कर जाते हैं।

बच्चों से करें बात

एमएस कैंसर संस्थान के वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ। देवाशीष शुक्ल बताते हैं कि बच्चों को अगर शुरू से संगत अच्छी मिले तो बहुत कम चांस है कि कोई बच्चा अपराध कि दुनिया में कदम रखे। माता-पिता की भी बच्चों को लेकर जिम्मेदारी बढ़ जाती है। माता-पिता खुद बच्चों की काउंसलिंग करें तो काफी अच्छा रहता है। हमेशा घुल मिलकर रहें। अगर वह खुद को अकेला महसूस कर रहा है और परिवार से दूर जा रहा है तो उससे बात करें और उसकी दिक्कतों के बारे में जानें। ऐसा करने से काफी हद तक बच्चों को अपराध की दुनिया में जाने से बचाया जा सकता है।

क्राइम करने की मुख्य वजहें

-मंहगी और स्पोर्ट्स बाइक खरीदने के लिए।

-दोस्तों के साथ पार्टी करने के लिए।

-गर्लफ्रेंड को घुमाने के लिए।

-महंगे कपड़े और अपना शौक पूरा करने के लिए।

-पुरानी रंजिश की वजह से वारदात को अंजाम देना।

-नशे की लत को पूरा करने के लिए।

-जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में।