लखनऊ (ब्यूरो)। आजकल अपनी बिजी प्रोफेशनल लाइफ की वजह से पैरेंट्स अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं। इतना ही नहीं, बच्चा शांत रहे, इसके लिए वे उसे खाने-पीने के दौरान व अन्य कामों के बीच भी बच्चों के हाथ में मोबाइल थमा देते हैं, जिससे बच्चा बातचीत करने की जगह मोबाइल देखता रहता है। इससे बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है। खासतौर पर 2-5 साल के बच्चों में इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है। केजीएमयू के चाइल्ड साइकियाट्री विभाग में हर माह 60 से अधिक ऐसे केस आ रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, ऐसे बच्चों की लगातार बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। पैरेंट्स को बच्चों से मोबाइल दूर रखना चाहिए।

पैरेंट्स के पास टाइम नहीं

केजीएमयू में चाइल्ड साइकियाट्री विभाग के हेड डॉ। विवेक अग्रवाल बताते हैं कि आजकल ज्यादा पैरेंट्स वर्किंग प्रोफेशनल्स हैं, जिसकी वजह से वे बच्चों के साथ समय नहीं बिता पा रहे हैं। वहीं, छोटे बच्चे जब जिद करते हैं या रोते हैं तो पैरेंट्स उनको मोबाइल या टीवी के सामने बैठा देते हैं, ताकि बच्चा शांत और बिजी रहे और वे आराम से अपना काम कर सकें। हालांकि, वे यह नहीं समझते कि ये चीजें बच्चों के ओवरऑल डेवलपमेंट के लिए कितनी खतरनाक हैं। खासतौर पर 2-5 साल के बच्चों के लिए।

4-6 घंटा मोबाइल यूज कर रहे

डॉ। विवेक ने बताया कि बच्चों में मोबाइल यूज की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। ओपीडी में आने वाले बच्चों का एनालिसिस किया गया तो देखने में आया कि 2-5 साल के बच्चों का दिमागी विकास बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पैरेंट्स से बातचीत में पता चलता है कि बच्चा रोज 4-6 घंटा या उससे भी अधिक समय तक मोबाइल देख रहा है, जिसकी वजह से उनमें बोलने की जुड़ी समस्या, किसी की बात न सुनना, नए शब्द न सीखना, लोगों से घुलना-मिलना नहीं, चुपचाप रहने आदि जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं, जो दिमागी विकास न होने के कारण हो रहा है।

बड़ा होने पर बन सकती है गंभीर समस्या

अगर बच्चों का सही से दिमागी विकास न हो तो आगे चलकर कई समस्याएं आ सकती हैं। पढ़ाई में दिक्कत, दिमाग का विकास प्रभावित होना, बड़ा होने के बावजूद बच्चों जैसा बर्ताव करना, पैरेंट्स से कटे रहना आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

इन लक्षणों पर दें ध्यान

- घर या स्कूल में बच्चा शांत रहे

- बोलने में समस्या

- कोई नया शब्द न सीख पा रहा हो

- दोस्तों से न मिले

- अकेला रहने लगे

- हर समय मोबाइल में बिजी रहे

ऐसे करें समाधान

- छोटे बच्चों को मोबाइल न दें

- बच्चों को समय दें पैरेंट्स

- बच्चों को हेल्दी डायट दें

- बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित करें

- ड्राइंग, सिंगिंग आदि के लिए प्रमोट करें

2-5 साल के बच्चे 4-6 घंटा तक मोबाइल यूज कर रहे हैं, जिससे उनका दिमागी विकास प्रभावित हो रहा है, जो चिंता का विषय है। पैरेंट्स को इसपर ध्यान देना चाहिए।

-डॉ। विवेक अग्रवाल, हेड, चाइल्ड साइकियाट्री विभाग, केजीएमयू