लखनऊ (ब्यूरो)। 4 दिसंबर 2016, वक्त सुबह के 11 बजे। कंट्रोल रूम पर फोन कीर घंटी बजती है। कॉल करने वाला डरी-सहमी आवाज में कहता है, 'साहब, मड़ियांव आईआईएम रोड करियर डेंटल कॉलेज के पास एक खेत की टूटी बाउंड्री के अंदर झाड़ियों में कटा हुआ पैर पड़ा हुआ है।Ó सूचना पर तत्कालीन थाना प्रभारी संतोष सिंह और पुलिस टीम मौके पर पहुंची। वहां का नजारा खौफनाक था। एक थैले के अंदर दो पैर कटे मिले। दोनों पैर किसी लड़की के थे। पूरे एरिया में कॉम्बिंग शुरू हुई और 100 मीटर की दूरी पर एक और थैले में दो कटे पैर और धड़ मिला, जिसके पैर और सिर गायब था। यह खबर मिलते ही पूरे एरिया में सनसनी फैल गई और पुलिस महकमे में भी हड़कंप मच गया।

3 थैलों में मिले 4 पैर व 2 धड़

तत्कालीन एसएसपी राजेश कुमार पांडे समेत अन्य पुलिस आलाअधिकारी मौके पर पहुंच गए। फोरेंसिक टीम घटनास्थल पर आई, थैले को खोला तो उसमें कटे पैर कपड़ों और पन्नी से लिपटे मिले। साथ में दो स्वेटर, नीली जींस, ब्लाउज और अन्य कपड़े थे। धड़ की तलाश में पुलिस ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया। करियर डेंटल कॉलेज से तकरीबन 500 मीटर दूर सहारा सिटी होम्स के पास पुलिस को सर्विस लेन की झाड़ियों में प्लास्टिक के थैले में दूसरी युवती का धड़ मिल गया, जिसे एक चादर व कपड़ों से लपेटा गया था। इस तरह कुल तीन थैले मिले, जिसमें दो धड़ और चार कटे पैर मिले, लेकिन किसी का सिर नहीं मिला। ऐसे में, पुलिस के लिए डेडबॉडी की पहचान करना एक बड़ी चुनौती थी।

पुलिस की जांंच इस ओर घूमी

युवतियों के पैर और धड़ मिलने से ठीक एक दिन पहले सीतापुर के मानपुर स्थित कमियापुर गांव में एक सूटकेस के अंदर दो युवतियों का कटा हुआ सिर मिला था। लखनऊ के कप्तान राजेश कुमार पांडे ने तुरंत सीतापुर पुलिस से संपर्क साधा और इस दोनों जगहों से मिले बॉडी अंगों की जांच कराई। पुलिस को लग रहा था ये दोनों केस एक ही हैं। हत्यारों ने सिर सीतापुर फेंके और बाकी हिस्से लखनऊ मड़ियांव थाना क्षेत्र में फेंककर फरार हो गए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फोरेंसिक रिपोर्ट में इनका मिलान नहीं हुआ। ऐसे में, गुत्थी सुलझने के बजाय और उलझ गई।

इस वजह से नहीं हुआ आजतक खुलासा

तत्कालीन एसएसपी राजेश कुमार पांडे ने बताया कि किसी भी केस को सुलझाने के लिए सबसे पहले शवों की शिनाख्त होना जरूरी है। हालांकि, अगर ऐसा कोई क्लू नहीं मिल रहा है, तो पुलिस और भी कई पहलुओं से जांच कर कड़ी दर कड़ी जोड़ने की कोशिश करती है। केस को सुलझाने की बहुत बड़ी चुनौती थी, फौरन छह टीमें गठित की गईं। टीमों को सीतापुर, दिल्ली, रायबरेली समेत जगहों पर भेजा गया। इसके अलावा नेशनल क्राइम ब्यूरो से भी युवतियों के गुमशुदगी का डाटा उठाया गया, लेकिन कहीं भी ऐसा कोई क्लू नहीं मिला, जिससे इनकी पहचान कर हत्यारों तक पहुंचा जा सके।

क्लू मिलने पर खुलेगी फाइल

इस केस को लगभग आठ साल होने वाले हैं, लेकिन अबतक कोई ऐसा क्लू नहीं मिला है जिससे हत्यारोपियों तक पहुंचा जा सके। घटनास्थल पर कुछ टायर के निशान जरूर मिले थे, पता चला कि ये निशान किसी पिकअप गाड़ी के हैं। इसके आधार पर शहर और आसपास के शहरों में रजिस्टर्ड लगभग 150 पिकअप गाड़ियों का ब्यौरा निकालकर मालिक और चालकों से पूछताछ की गई थी, सभी पर कई महीनों तक निगरानी भी की गई, लेकिन पुलिस को आजतक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। केस में जब कोई क्लू मिलेगा तो एक बार फिर फाइल खोली जाएगी।

अबतक इन बिंदुओं पर की जांच

- मौके पर पिकअप गाड़ी के टायर के निशान मिलने पर सभी पिकअप गाड़ी की जांच हुई

- शहर के थानों दर्ज युवती के गुमशुदगी के रिकार्ड खंगाले गए

- कटे पैर और सीतापुर वाले केस को आपस में जोड़कर जांच की

- घटनास्थल से मोबाइल डंप डाटा उठाया गया

- शहर के अलग-अलग रूट पर 100 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए

- सरकारी और निजी अस्पतालों के भी रिकार्ड खंगाले गए

- दोनों धड़ का आपस में डीएनए मैच करके देखा गया

हर पहलुओं पर हुई जांच

हमारे लिए हर एक केस महत्वपूर्ण होता है। लड़कियों के पैर और धड़ मिलने पर हर एक पहलुओं पर जांच की गई। टीमें दिल्ली तक भेजी गईं, लेकिन कोई ऐसा क्लू नहीं मिला जिससे केस को सुलझाया जा सके।

राजेश कुमार पांडे, तत्कालीन एसएसपी

बंद सूटकेस में महिला की मिली लाश

ऐसा ही एक और केस है, जिसे लखनऊ पुलिस चार सालों बाद भी नहीं सुलझा पाई है। यह केस फाइलों में आज भी धूल फांक रहा है। दरअसल, 21 जनवरी 2019 का दिन था। शाम को कंट्रोल रूम पर शहीदपथ इकाना स्टेडियम के पास गाय चरा रहे एक व्यक्ति ने फोन कर कहा कि सर यहां पर एक सूटकेस से बदबू आ रही है। सूचना पर डायल-112 पहुंची और फिर गोसाईगंज थाना पुलिस (अब सुशांत गोल्फ सिटी थाना हो गया है) सूटकेस खोला गया तो अंदर एक महिला की लाश थी। उसकी उम्र तकरीबन 30 वर्ष के आसपास थी।

पहचान छिपाने के लिए हाथों की अंगुलियां जलाईं

नीले रंग के सूटकेस के अंदर महिला ने डार्क ब्राउन कलर का स्वेटर और ऑरेंज कलर की सलवार पहनी थी। उसके शरीर को सिगरेट से दागा गया था, चेहरा पहचान में न आए इसलिए उसे जलाकर बिगाड़ दिया गया था। साथ ही, हाथ की सभी अंगुलियों को जला दिया गया था। पुलिस चाह कर भी बॉयोमेट्रिक से उसकी पहचान न कर सकी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में महिला की गला दबाकर हत्या की पुष्टि की गई। पुलिस ने कई टीमें लगाकर केस को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन अबतक पुलिस केस को सुलझा नहीं सकी है।

इन-इन पहलुओं पर जांच

- लापता महिलाओं का डाटा खंगाला गया

- घटनास्थल से मोबाइल डंप डाटा उठाया

- 50 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए

- सूटकेस की पहचान के लिए दुकानदारों से पूछताछ

- एनसीआरबी के डाटा को खंगाला गया

- तीन साल तक इसकी इंटरनल जांच चलती रही

- दो लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था