लखनऊ (ब्यूरो)। 27 जुलाई 2017 की रात थी। दवा कारोबारी मुकेश मिश्रा जानकीपुरम साठ फीटा रोड स्थित अपना मेडिकल स्टोर बंद कर घर लौट रहे थे। इसी बीच कार सवार मुकेश पर हमला हुआ और मार्केट गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद मुकेश की कार डिवाइडर से टकराकर पलट गई। इस वारदात से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। पहले तो पुलिस ने इसे हादसे का नाम दिया, लेकिन अस्पताल में पता चला कि मुकेश को तीन गोलियां मारी गई थीं। एक हफ्ते तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ने के बाद मुकेश की 3 अगस्त को मौत हो गई।

प्रॉपर्टी विवाद में हत्या का शक

जानकीपुरम पुलिस ने इस हत्याकांड का पर्दाफाश करने के लिए कई टीमें गठित की थीं। परिजनों के बयान से लेकर घटनास्थल में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालने का काम शुरू किया गया, लेकिन पुलिस को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिससे आरोपियों तक पहुंचा जा सके। हालांकि, जब पुलिस ने मुकेश की पत्नी का बयान दर्ज किया तो केस मेें नया मोड़ आ गया। पुलिस को लगा कि अब केस सॉल्व होने के करीब है। मुकेश की पत्नी सारिका ने पुलिस से कहा कि मुकेश का बड़े भाई करुणेश के साथ प्रॉपर्टी विवाद चल रहा था। इसी विवाद में भाई ने हत्या करवाई है।

एक-दूसरे पर लगाया आरोप

हत्याकांड में एक और मोड़ तब आया जब पुलिस ने मुकेश के घरवालों का बयान दर्ज किया। इस बयान में मुकेश का परिवार सारिका को ही संदिग्ध मान रहा था। परिजनों ने कहा कि उनको शक है कि सारिका ने ही पति की हत्या करवाई है। ऐसे में गुत्थी सुलझने के बजाय और उलझती गई। पुलिस ने दोनों पक्षों से सख्ती से पूछताछ की, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। पुलिस इतना तो मान चुकी थी कि इस हत्याकांड में कोई बाहरी नहीं है, घरवालों में ही कोई हत्यारा है। पुलिस ने अपनी जांच में सभी करीबियों का बयान दर्ज किया, लेकिन उसे कोई ऐसा क्लू नहीं मिल रहा था जिससे हत्यारे तक पहुंचा जा सके।

पत्नी से लेकर अन्य का नार्को टेस्ट

इसके बाद पुलिस ने मुकेश के मोबाइल नंबर को खंगाला, लेकिन यहां भी निराशा ही हाथ लगी। उधर, मुकेश के परिवारीजनों ने सारिका पर हत्या कराने का शक जताया था, इसलिए पुलिस ने परिवार के सदस्यों का नार्को टेस्ट कराने को लेकर कोर्ट से परमीशन ली और फिर मुकेश की पत्नी सारिका, उसके भाई करुणेश, भाभी मधु, भतीजे प्रशांत और भांजे सुधांशु का नार्को टेस्ट के साथ ब्रेन मैपिंग भी कराई गई, लेकिन कोई सुराग नही मिल सका।

2 साल की जांच में नहीं मिला क्लू

इस हत्याकांड का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस की जांच करीब दो साल चली। सीसीटीवी फुटेज, सैकड़ों मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल और नार्को टेस्ट किया गया। पुलिस ऐसा एक भी सुराग नहीं ढूंढ सकी, जिससे हत्या की वजह या हत्यारों का पता चल सके। नार्को टेस्ट में असफलता के बाद से ही इस संदिग्ध मौत के रहस्य से पर्दा उठने की संभावना खत्म हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने दो जुलाई वर्ष 2019 को इस केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। मुकेश के बड़े भाई व मुकदमे के वादी राकेश मिश्रा ने फाइनल रिपोर्ट पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि कोर्ट में अपील की जाएगी।

इन-इन पहलुओं पर हुई जांच

- प्रॉपर्टी के विवाद को सभी पहलुओं पर खंगाला गया।

- पत्नी से लड़ाई झगड़े के एंगल पर भी जांच हुई।

- प्रेम संबंध को लेकर खंगाले गए मोबाइल।

- रिश्तेदारों से लेकर परिवारों के भी मोबाइल खंगाले गए।

- पैसों के लेनदेन के विवाद पर भी जांच हुई।