लखनऊ (ब्यूरो)। बीते 10 दिनों में प्रदेशभर में फार्मासिस्ट संवर्ग में 6 फार्मासिस्ट की मौत हो चुकी है। इन सभी लोगों की मौत अचानक हुई। इन घटनाओं ने फार्मासिस्ट एसोसिएशन को हैरान और परेशान कर दिया है। एसोसिएशन ने अब इस मसले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच की मांग की है। इन मौतों की वजह को फार्मासिस्टों के पदों पर भर्तियां न होने से लोगों पर अतिरिक्त दबाव आने और कई जगहों पर ड्यूटी करने आदि से जोड़ा जा रहा है। इन मौतों पर कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

केस 1 - 23 मई को राजधानी के जानकीपुरम सीएचसी में तैनात 35 वर्षीय फार्मासिस्ट सचिन पांडे को सीने में दर्द हुआ। लारी ले जाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

केस 2 - 15 मई को सीएचसी हंडिया, प्रयागराज में कार्यरत फार्मासिस्ट प्रमोद यादव की ड्यूटी से लौटते वक्त कार में हार्ट अटैक से मौत हो गई।

केस 3 - 15 मई को कौशांबी मंझनपुर फार्मासिस्ट सदाशिव सिंह की ड्यूटी के दौरान अस्पताल में हुई मौत।

ये मौतें चिंता का विषय

डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप बडोला के मुताबिक, विभिन्न जनपदों में 6 फार्मासिस्टों की आकस्मिक मृत्यु से प्रदेश का फार्मासिस्ट संवर्ग व्यथित है। इससे पूर्व भी अनेकों फार्मासिस्टों की आकस्मिक मृत्यु हो चुकी है। इसकी बड़ी वजह प्रदेश भर में फार्मासिस्टों के ऊपर अत्यधिक कार्यभार व सप्ताह में सातों दिन 24 घंटे ड्यूटी करना है, जिसके कारण फार्मासिस्ट अवसाद का शिकार हो रहे हैं। अर्बन और रूरल अस्पतालों में फार्मासिस्टों के पद अत्यंत कम होने के कारण उनको रात दिन कार्य करना पड़ रहा है। हालात यह है कि 24 घंटे संचालित होने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में जहां प्रतिदिन लगभग 1000 मरीज आते हैं, वहां मात्र दो फार्मासिस्ट कार्यरत हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जहां 300 से 500 मरीज आते है, वहां मात्र एक फार्मासिस्ट कार्यरत है, जबकि बड़े-बड़े चिकित्सालय में नाम मात्र को फार्मासिस्ट व चीफ फार्मासिस्ट के पद सृजित हैं।

यह कार्य भी करने पड़ रहे

अध्यक्ष संदीप बडोला आगे बताते हैं कि अस्पतालों में दवाओं के रखरखाव, दवा वितरण, 24 घंटे इमरजेंसी ड्यूटी करना, इंजेक्शन लगाना, एआरवी लगाना, पोस्टमार्टम ड्यूटी करना, वीआईपी ड्यूटी करना एवं सभी राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदारी करना आदि सभी कार्य फार्मासिस्ट द्वारा संपादित किए जाते हैं। इतना ही नहीं, जहां चिकित्सक नियुक्त नहीं है वहां पूरे अस्पताल का संचालन करना फार्मासिस्ट की जिम्मेदारी है।

पदों को भरा जाना चाहिए

मामले को लेकर सीएम, डिप्टी सीएम, शासन व स्वास्थ्य महानिदेशालय को समय-समय पर संगठन द्वारा उपरोक्त समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम निकालकर नहीं आया। उन्होंने कहा कि संगठन दोबारा सरकार व शासन से मांग करेगा कि फार्मासिस्टों के नए पदों का सृजन कर अस्पतालों में उन्हें पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

मौत का कारण क्या है, इसपर कुछ नहीं कह सकता हूं। हालांकि, फार्मासिस्ट भर्ती की प्रक्रिया चल रही है।

-डॉ। ब्रजेश राठौर, डीजी-हेल्थ