लखनऊ (ब्यूरो)। दिल से जुड़ीं समस्याएं कोविड की गिरफ्त में आए लोगों में काफी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। इसके पीछे की बड़ी वजह एक खास तरह का प्रोटीन है, जो इन मरीजों में दिल की समस्या बढ़ाने का काम करता है। यह जानकारी स्पेन से आये प्रो। ऑस्कर मिलेट ने सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च में नेशनल मैगनेटिक रेजोनेंस सोसाइटी द्वारा आयोजित प्रोग्राम के दौरान दी।

ब्लर हो जाती है एमआरआई इमेज

प्रो। मिलेट ने बताया कि जिन लोगों को कोरोना हो चुका है, ऐसे लोगों को अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। जिनको दिल की कोई समस्या है, वे ज्यादा अलर्ट रहें, वरना आगे चलकर समस्या गंभीर हो सकती है। वहीं, साउथ अफ्रीका से आईं प्रो। अर्नेस्टा ने मरीजों के कंपन के कारण खराब हुई एमआरआई इमेज की क्वालिटी को सही करने का तरीका बताया। उन्होंने बताया कि जिन मरीजों को कंपन की समस्या है या जो ज्यादा हिलते-ढुलते हैं, ऐसे मरीजों की एमआरआई इमेज खराब आती है, जिससे सही डायग्नोसिस नहीं हो पाता है। पर उनकी हाई रिजोल्यूशन इमेज करके उसे सही करके देखा जा सकता है। कार्यक्रम के दौरान निदेशक प्रो। आलोक धावन, कनवीनर प्रो। नीरज सिन्हा, को-कनवीनर अर्चना गुप्ता समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

फाइलेरियारोधी दवाओं का सेवन जरूरी

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में 10 से 28 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन आईडीए अभियान चलाया जाएगा। इसी क्रम में शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय स्थित समाज कार्य विभाग में विद्यार्थियों को आईडीए अभियान के बारे में जानकारी दी गई। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ। रितु श्रीवास्तव ने कहा कि फाइलेरिया का दूसरा नाम हाथी पांव है। इससे बचाव का एकमात्र विकल्प फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन है।

दवा पूरी तरह से सेफ

डॉ। रितु ने आगे बताया कि सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने ही फाइलेरिया रोधी दवाएं आइवरमेक्टिन, डाईइथाईल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल खिलाएंगे। आप सब दवाओं का सेवन जरूर करें। मैं भी पिछले पांच साल से इन दवाओं का सेवन कर रही हूं। इससे मुझे कोई समस्या नहीं हुई है। यह दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि दवा खाने के बाद जी मिचलाना उल्टी जैसे समस्याएं होती है तो इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के परजीवी थे और उनके मरने के परिणामस्वरूप यह प्रतिक्रियाएं होती हैं।

लोगों में बढ़ रही डायबिटीज की समस्या

यूपी में करीब 26 प्रतिशत डायबिटीज पीड़ित एनीमिया की चपेट में हैं। इसकी वजह से मरीज को दूसरी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। डायबिटीज की वजह से शरीर में पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती हैं। जो डायबिटीज संबंधी जटिलताएं जैसे आंख और तंत्रिका के क्षति ग्रस्त होने की आशंका भी बढ़ जाती है। दिल और गुर्दों की सेहत भी बिगड़ सकती है। यह जानकारी शुक्रवार को रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ। अजय तिवारी ने दी।

हीमोग्लेाबिन गड़बड़ा सकता है

डॉ। अजय तिवारी ने बताया कि गुर्दों में दिक्कत की वजह से मरीज के शरीर में खून की कमी हो सकती है। ऐसे में हार्मोन एरिथ्रोपोइटिन का स्राव होता है। साथ की खून की नलियों में सूजन भी आ सकती है। जिससे हीमोग्लोबिन गड़बड़ा सकता है। ऐसे में एनीमिया के खतरों से बचने लिए डायबिटीज मरीज नियमित जांच कराएं। वहीं, केजीएमयू फिजियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ। नरसिंह वर्मा ने बताया कि पहले लोग तीन वक्त ही खाना खाते हैं। अब लोग दिन में कई बार भोजन करते हैं। उसके मुकाबले कसरत नहीं करते हैं। इससे भी डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है। आयोजक चेयरमैंन डॉ। अनुज माहेश्वरी का कहना है कि यूपी में तेजी से डायबिटीज के मरीज बढ़ रहे हैं। तकरीबन 18 प्रतिशत आबादी प्री डायबिटीज है। इन पर डायबिटीज का खतरा मंडरा रहा है।