लखनऊ (ब्यूरो)। हत्या, चोरी, लूट, स्नैचिंग समेत अन्य वारदातों में शामिल क्रिमिनल्स के लिए पुलिस ने एक खास एक्शन प्लान बनाया है। दरअसल, पुलिस इन क्रिमिनल्स को पकड़ने के लिए ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की टेक्निक इस्तेमाल करेगा। इसके तहत अब शहर की सड़कों समेत अन्य जगहों पर घूमने वाले क्रिमिनल्स पुलिस से बच नहीं सकेंगे। इसे शहर के मुख्य चौराहों समेत अन्य जगहों से ऑपरेट किया जाएगा, ताकि क्रिमिनल्स को आसानी से पकड़ा जा सके। क्या है एआई टेक्नोलॉजी? किस तरह से होगा काम? कब तक होगा शुरू? क्या मिलेगा फायदा? पढ़ें इन तमाम सवालों का जवाब तलाशती दैनिक जागरण की खास रिपोर्ट

कंट्रोल रूम पर मिलेगा अलर्ट

शहर में आए दिन कोई न कोई अपराध होता है। इसमें अपराधियों की पुलिस हिस्ट्री तक खंगाल लेती है, लेकिन कई बार अपराधी पुलिस की गिरफ्त से दूर रहते हैं। ये लोग शहर में घूमते रहते हैं, बावजूद इसके पुलिस इनतक पहुंच नहीं पाती। ऐसे में, इस व्यवस्था के अपग्रेड होने पर क्रिमिनल्स बच नहीं सकेंगे। वे किसी भी चौराहे और गलियों से गुजरेंगे तो वहां लगे कैमरों में उनकी पहचान हो जाएगी और फिर एआई साफ्टवेयर पुलिस कंट्रोल पर नोटिफिकेशन भेजकर अलर्ट कर देगी। इसके बाद पुलिस अपराधी पर निगरानी रख उसे आसानी से पकड़ सकेगी।

सॉफ्टवेयर से कनेक्ट होंगे कैमरे

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शहर के तमाम जगहों पर हाइटेक कैमरा लगाया गया है। यहां से पूरे शहर की निगरानी की जाती है, लेकिन इस टेक्नोलॉजी के आने से कैमरों को इससे कनेक्ट कर दिया जाएगा। सॉफ्टवेयर के जरिए किसी भी लोकेशन में एआई कैमरा अपराधियों के चेहरे से लेकर गाड़ी नंबर तक रीड करेगा और फिर सिग्नल को तुरंत कंट्रोल रूम भेज दिया जाएगा।

इससे भी मिलेगी मदद

वहीं, दूसरी तरफ एसटीएफ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड क्रिमिनल डाटा क्रिएशन एंड रिट्रीवल सिस्टम को खरीदने की तैयारी चल रही है। जिससे संगीन वारदात को अंजाम देने वाले शूटर व अपराधी रहेंगे। इससे चंद सेकंड में उनकी पहचान के साथ पूरी कुंडली पुलिस अधिकारियों के सामने होगी। इस तकनीक के जरिए घटना का जल्द खुलासा करने के साथ उसे अंजाम देने वाले अपराधियों को सलाखों केपीछे भेजने में देर नहीं लगेगी।

पहले ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए होता था काम

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड क्रिमिनल डाटा क्रिएशन एंड रिट्रीवल सिस्टम में अपराधियों का पूरा डाटाबेस तैयार किया जाएगा। इससे पहले क्रिमिनल ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए ये काम किया जाता था। एआई के साथ अपराधियों का डाटाबेस जोड़ने से उनके चेहरे का मिलान चंद सेकंड में पूरे रिकॉर्ड से करते हुए किस चेहरे से कितने प्रतिशत मिलान हो रहा है, इसकी जानकारी सामने होगी।

इसे ऐसे समझे

उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति किसी को वर्चुअल कॉल के जरिए धमकी देता है तो उसकी आवाज को ये सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से डाटाबेस में फीड लाखों आवाज से मैच करके सही व्यक्ति की पहचान कर लेगा। वहीं, यूपी पुलिस साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा के मुताबिक, एआई टेक्नोलॉजी की मदद से अपराधियों को पकड़ना काफी आसान हो जाएगा।