लखनऊ (ब्यूरो)। किसी को धमकी देना हो या फिर लोगों के बीच अपना वर्चस्व कायम करना हो, ऐसा करने के लिए आजकल अपराधी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे लेकर साइबर सेल में लगातार शिकायतें भी आ रही थीं, जिसे देखते हुए साइबर पुलिस ने एक खास रणनीति बनाई है। दरअसल, साइबर पुलिस अब ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनका अकाउंट बंद करवा रही है। पुलिस आंकड़ों के अनुसार, 150 से अधिक क्रिमिनल्स पर पुलिस कार्रवाई कर चुकी है।

यहां रहते हैं सबसे ज्यादा एक्टिव

साइबर सेल पुलिस के मुताबिक, लखनऊ पुलिस की लिस्ट में हजारों की संख्या में अपराधी शामिल हैं। ये अपराधी अब भी अक्सर सोशल मीडिया पर एक्टिव मिल जाते हैं और फिर से अपना वर्चस्व कायम करने के लिए वे फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का सहारा लेते हैं। जहां वे धमकी देना, जान से मारना, पिस्टल के साथ स्टेटस लगाना, गलत टिप्पणी करने समेत अन्य कई तरह के मैसेज अपलोड करते हैं, जिसकी शिकायत साइबर सेल को मिलती है। अब इन अपराधियों पर कार्रवाई करने के साथ-साथ इनका अकाउंट डिएक्टिवेट करने की रिक्वेस्ट भेजी गई है।

150 से अधिक आईडी चिन्हित

साइबर सेल पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ भाषणबाजी, गलत टिप्पणी कर माहौल खराब करना, दंगा भड़काना, धमकी देना, धार्मिक आस्था का अपमान करना, तमंचा लहराना समेत अन्य गलत काम करने के आरोपियों की आईडी को चिन्हित किया गया है। पिछले करीब एक साल में लगभग 150 के करीब आईडी को ब्लॉक करवाने का प्रोसेस जारी है।

कमेंट करने वालों पर भी फोकस

लखनऊ पुलिस के मुताबिक, अपराधी और उनके गुर्गों पर तो नजर रखी ही जाती है साथ ही किसी भी पोस्ट पर कमेंट करने वाले लोगों पर भी नजर बनाई जा रही है। इन अकाउंट में ज्यादातर गुर्गे व फॉलोवर्स अपराधियों से फेसबुक, मैसेंजर्स, वाट्सएप आदि से संपर्क में रहते हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अपराधियों के सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने की वजह से कई युवा भी इनसे जुड़ जाते हैं। जिसकी वजह से इनका गैंग बड़ा होने लगता है और फिर ये युवाओं को आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के लिए उकसाते हैं।

फरार होने के बावजूद एक्टिव

साइबर क्राइम एक्सपर्ट राहुल मिश्रा ने बताया कि आज के समय में लगभग हर कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव रहता है, जिसका फायदा अपराधी उठाते हैं। यहां पर किसी को धमकी देना, अपना वर्चस्व कायम करना सबसे आसान होता है। इसके अलावा कई ऐसे भी अपराधी होते हैं, जो पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं, लेकिन समय-समय पर वे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। पुलिस को इस तरह अपराधियों को पकड़ने में तो आसानी होती है, लेकिन कई बार वे पुलिस को चकमा भी दे देते हैं। साथ ही सोशल मीडिया से ही अपने गैंग का गु्रप बढ़ाते रहते हैं।

ये होती है कार्यवाही

एक्सपर्ट के मुताबिक, इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) एक्ट 2000 की धारा 67 में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपत्तिजनक पोस्ट करता है या फिर शेयर करता है, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई फेसबुक, इंस्टग्राम, एक्स समेत किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करके अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आईटी की धारा 67 के तहत कार्रवाई की जाती है।