लखनऊ (ब्यूरो)। मौसम में लगातार हो रहे बदलावों के चलते वायरल बुखार का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसमें बच्चों से लेकर बड़े तक प्रभावित हो रहे हैं। इसबार यह लोगों को लंबे समय तक परेशान कर रहा है। इतना ही नहीं, मरीज पोस्ट वायरल एलर्जी की चपेट में भी आ रहे हैं, जिसमें खासतौर पर पोस्ट ब्रोंकाइटिस के केस मिल रहे हैं। जिसमें खांसी तीन से चार सप्ताह तक ठीक नहीं हो रही है। केजीएमयू में रोजाना बड़ी संख्या में लोग यह समस्या लेकर आ रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, लोगों को ऐसे समय में एंटीबायटिक खाने से बचना चाहिए।

पहले 4-5 पर्सेंट में ही समस्या

केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो। सूर्यकांत ने बताया कि पहले वायरल इंफेक्शन होते थे तो 90-95 फीसदी मरीजों में बुखार, खराश, बदन दर्द और खांसी एक हफ्ते में ठीक हो जाती थी। पहले वायरल की समस्या केवल नाक और गले तक रहती थी, लेकिन अब वायरस नीचे उतर कर लंग्स को प्रभावित कर रहा है। पहले 4-5 पर्सेंट मरीजों में ही एक्यूट ब्रोंकाइटिस और निमोनिया की समस्या होती थी।

लंग्स पर असर कर रहा वायरस

प्रो। सूर्यकांत आगे बताते हैं कि इसबार वायरस थोड़ा अग्रेसिव है, जिसके कारण 80-90 पर्सेंट मरीजों में वायरस फेफड़े में घुस रहा है। इसके चलते सांस की नली में सूजन की समस्या हो रही है। इसे एक्यूट ब्रोंकाइटिस कहते हैं, जिसमें मरीज को सूखी खांसी हो रही है। इस तरह की समस्या के रोजाना 15-20 मरीज आ रहे हैं। वहीं, जो बुजुर्ग डायबिटिक हैं, उनको निमोनिया हो रहा है। हफ्ते में ऐसे 1-2 केस आ जाते हैं।

एंटीबायटिक का कोई रोल नहीं

इस बीमारी में एंटीबायटिक दवा का कोई रोल नहीं है, इसलिए लोगों को खुद से कोई एंटीबायटिक दवा नहीं खानी चाहिए। इस दौरान केवल डॉक्टर द्वारा लिखी एंटी एलर्जिक व खांसी का सिरफ और बुखार में केवल पैरासिटामॉल और आराम करें। कोई भी दवा खुद से लेने से बचें।

इसबार वायरस थोड़ा अग्रेसिव है, जो लंग्स पर असर कर रहा है, जिससे खांसी दो-तीन सप्ताह तक बनी रहती है। ऐसी कंडीशन में खुद से एंटीबायटिक लेने से बचें।

-प्रो। सूर्यकांत, केजीएमयू