लखनऊ (ब्यूरो)। सभी पेरेंट्स को अपने बच्चों के फ्यूचर की चिंता होती है। सभी अपने बच्चों को जिंदगी में सफल होता देखना चाहते हैैं। हालांकि, कई बार वैसा नहीं होता जैसा वे सोचते हैैं। ऐसे में पेरेंट्स के मन में सवाल उठता है कि जो हम अपने बच्चों के लिए कर रहे हैैं क्या वो सही हैै। इसी तरह के सवालों के जवाब खोजने के लिए हमने कल्याण सिंह कैंसर इंस्टिट्यूट के सीनियर साइकियाट्रिस्ट डॉ। देवाशीष शुक्ला से बात की

पेरेंट्स बच्चों को सलाह दें तो बच्चों को लगता है कि पेरेंट्स अपनी बात थोप रहे हैैं। ऐसे में पेरेंट्स क्या कर सकते हैैं?

बच्चों को सही गलत का अंदाजा नहीं होता। पेरेंट्स बचपन से ही उनकी सारी डिमांड्स पूरी कर देते हैैं, जिससे आगे चल कर बच्चे बिगड़ जाते हैैं। बड़े होकर जब पेरेंट्स उन्हें कुछ समझाते हैैं तो उन्हें लगता है कि वे अपनी बात उनपर थोप रहे हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि बचपन से ही उन्हें सही गलत का फर्क समझाएं और उनकी हर डिमांड की बजाय सिर्फ जायज डिमांड को पूरा करें।

बचपन में तो बच्चा पेरेंट्स की बात मानता था, लेकिन बड़ा होने पर नहीं। इसका क्या कारण है?

बचपन में बच्चा आप की बात माने इसके लिए कई पेरेंट्स बच्चों को खिलौने का या उनकी मनपसंद चीजों का लालच देते हैैं। उनकी हर डिमांड पूरी करने के कारण बच्चा बिगड़ जाता है। यही कारण है कि बड़े होने के बाद वे पेरेंट्स की बात नहीं सुनते। हमें बचपन में ही बच्चों पर ध्यान देना होगा। अपनी बात मनवाने के लिए उनकी हर डिमांड पूरी करने की जरूरत नहीं है। उन्हें समझाएं कि आप बच्चों को वह काम करने को क्यों कह रहे हैं। समझाने से बच्चे पेरेंट्स की बात सुनेंगे।

पेरेंट्स ऐसा क्या करें कि बच्चे उनसे कोई भी बात शेयर करने मेें संकोच न करें?

आजकल के समय में न्यूक्लियर फैमिली का चलन बढ़ गया है और अधिकतर परिवार में दोनों पेरेंट्स वर्किंग होते हैैं। वे अपने बच्चों के लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैैं। इसके चलते बच्चे का पेरेंट्स से उतना जुड़ाव नहीं हो पाता है और वे अपनी बात कहने से संकोच करते हैं। अगर चाहते हैं कि बच्चे पेरेंट्स से अपनी बात शेयर करें तो दोनों में से एक को तो बच्चों के लिए थोड़ा समय निकालना होगा।

क्या बच्चों के लिए कड़े नियम बनाना जरूरी है?

हां, बच्चों के लिए कड़े नियम बनाना बहुत जरूरी है। अगर नियम न हों तो बच्चा बिगड़ जाता है। देश में कई लोग हैैं जो गलत काम करके आराम से घूमते हैैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें नियम कानून का डर नहीं होता है। पेरेंट्स को नियम तो बनाने चाहिए लेकिन बच्चों को मारना नहीं चाहिए। नियम रहेंगे तो वे गलत काम करने से बचेंगे। अगर वे कुछ गलत करते हैैं तो जो उन्हें पसंद है उसे कुछ समय के लिए उनसे दूर कर दीजिए।

बच्चे घर का खाना खाने के बजाए बाहर का जंक फूड खाना ज्यादा पसंद करते हैैं। इसका कोई विकल्प है?

कई बार ऐसा होता है कि पेरेंट्स का खाना बनाने का मन नहीं होता या वे काम में इतना व्यस्त रहते हैैं कि खाना बाहर से मंगवा लेते हैैं। कुछ समय बाद बच्चे की खाना बाहर से मंगवाने की आदत पड़ जाती है। इसका समाधान यही है कि बच्चों को शुरू से ही घर का खाना दें और बाहर का खाना सिर्फ स्पेशल दिनों में ही मंगवाएं। इससे बच्चे को घर का खाना खाने की आदत रहेगी।

बच्चों की सोशल मीडिया की लत को कैसे छुड़ा सकते हैैं?

आजकल पेरेंट्स बच्चों को बचपन में ही मोबाइल दे देते हैैं ताकि वे शांत रहें और उनको अपना काम करने दें। यहीं से शुरू होती है मोबाइल की लत। पहले समझ नहीं आता लेकिन बाद में जब समझ में आता है तबतक काफी देर हो चुकी होती है। इसी लिए बच्चों को मोबाइल देने के बजाए उन्हें बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें। इससे शरीर भी मजबूत बनेगा और सोशल मीडिया की आदत भी नहीं लगेगी।

अगर बच्चा पढ़ाई में कमजोर है तो पेरेंट्स कैसे उसकी मदद कर सकते हैैं?

पेरेंट्स को समझना होगा कि हर बच्चे का आईक्यू एक सा नहीं होता है। जब पेरेंट्स बच्चों के ऊपर पढ़ाई का प्रेशर डालते हैैं तो उन्हें ये याद रखना चाहिए कि वे पढ़ाई में कैसे थे। उन्हें बच्चों के साथ बैठना चाहिए और समझना चाहिए कि उसे क्या परेशानी है। ऐसे ही यह समस्या हल की जा सकती है। इससे बच्चे को मॉरल सपोर्ट मिलेगा और उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा, जिससे वह अच्छा प्रदर्शन कर पाएगा।

अगर बच्चा गलती करता है तो पेरेंट्स को क्या करना चाहिए ताकि बच्चा वह गलती दोहराए नहीं?

अगर बच्चे ने कोई गलती की है तो सबसे पहले ध्यान रखें कि उन्हें मारना पीटना नहीं है। मारने से बच्चे समझते तो नहीं हैैं बल्कि जो पेरेंट्स बोलते हैैं उसका उल्टा ही करते हैं। हमें बच्चों को शांति से समझाना चाहिए कि जो वह कर रहे हैैं वह गलत है और उन्हें वह काम नहीं करना चाहिए। कोई भी बात अगर शांति से बताई जाए तो उसका असर ज्यादा होता है।