लखनऊ (ब्यूरो)। रोडवेज की बसों में अधिक डीजल खर्च होने का मामला सामने आया है। जिसमें अधिकारियों की लापरवाही उजागर हुई है। अधिकारियों ने टैंकर से आने वाले डीजल और बसों में खर्च होने वाले डीजल औसत की निगरानी ही नहीं की थी। जिसके कारण खर्च में बड़ा अंतर सामने आया है। वहीं, मुख्यालय पर डीजल खर्च की समीक्षा की गई तो अधिकारियों की मनमानी से लाखों को चूना लग गया। जिसके बाद मुख्यालय से ऐसे पांच लापरवाह अधिकारियों से डीजल घटतौली में लाखों की वसूली की जाएगी।

वसूला जाएगा पैसा

इस बार टैंकर से आए डीजल और बसों में खर्च हो रहे औसत डीजल में बड़ा अंतर पकड़ा गया है। डीजल औसत का यह अंदर प्रदेश भर के डिपो से करीब 30 हजार लीटर का है। इस मामले में ऐसे पांच अफसरों को चिन्हित भी कर लिया गया है, जिनसे 31 लाख रुपये की वसूली अब की जाएगी। बाकी अफसरों से शेष धनराशि वसूलने के निर्देश किए गए हैं। यह धनराशि कर्मचारियों और अफसरों के सेवानिवृत होने से पहले वसूली जाएगी।

बोर्ड से मंजूरी लेने की तैयारी

नौकरी के दौरान किए गए आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले में अब कर्मचारी हों या फिर अधिकारी, कोई बच नहीं सकेगा। परिवहन निगम प्रशासन ऐसे मामलों में आर्थिक दोष साबित होने के बाद सेवानिवृत के चार साल बाद तक वसूली किए जाने के नियम बनाने जा रही है। इस संबंध में प्रस्ताव बनाकर बोर्ड बैठक से मंजूरी लेने की तैयारी की गई है। अभी तक सेवानिवृत के बाद वसूली की किसी तरह की व्यवस्था परिवहन निगम में नहीं है।

डीजल समेत कई ऐसे आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं। जिसमें रिवकरी करने के पहले ही लोग सेवानिवृत हो गए। ऐसे मामलों में सेवानिवृत के पहले रिकवरी करने के निर्देश दिए गए है ताकि आर्थिक मामलों में राजस्व की वसूली आसानी से की जा सके।

- रामसिंह वर्मा, सीजीएम प्रशासन, उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम