लखनऊ (ब्यूरो)। जिंदगी में हर किसी को अपने पेरेंट्स के साथ रहने का सुख नहीं मिल जाए, ऐसा कई बार पॉसिबल नहीं हो पाता है। कई लोग ऐसे होते हैैं जिनको अलग-अलग वजहों से अपना बचपन अपने एक ही ही पेरेंट के साथ बिताना पड़ता है, तो कुछ मामलों में सिंगल पेरेंट दूसरी शादी कर लेते हैैं। इन दोनों ही परिस्थितियों का बच्चों पर काफी असर पड़ता है। ये असर सकारात्मक भी हो सकता है और नकारात्मक भी। बहुत बार ये चीजें इस बात पर निर्भर करती हैैं कि सिंगल पेरेंट बच्चों का कैसे ध्यान रखते हैैं और दूसरी शादी के बाद भी बच्चों को वही सपोर्ट मिलता है या नहीं।

बच्चों पर क्या होता है असर

एलयू के सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ। डीआर साहू ने बताया कि जिन बच्चों के सिंगल पेरेंट होते हैैं उनके ऊपर मानसिक तनाव बढ़ सकता है। बच्चों को अकेलापन भी महसूस हो सकता है। हालांकि, अगर सिंगल पेरेंटिंग भी अच्छे से की जाए तो बच्चे मजबूत बनते हैैं। पर ऐसा बहुत कम होता है। उन्होंने सिंगल पेरेंट्स की दूसरी शादी पर बात करते हुए बताया कि दूसरी शादी करने से बहुत बार बच्चे ठीक से एडजस्ट नहीं कर पाते हैैैं। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि दूसरी शादी के बाद अगर पेरेंट्स का बच्चा होता है तो वे पहले बच्चे को नजरअंदाज करने लगते हैैं। इससे बच्चा अकेलापन महसूस करने लगता है और गलत राह पर भी जा सकता है।

बच्चों से खुलकर बात करने से होगा फायदा

डॉ। साहू ने बताया कि सिंगल पेरेंट्स को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

- बच्चों से हमेशा खुलकर बात करनी चाहिए। उन्हें सही बात बतानी चाहिए। बहुत बार सिंगल पेरेंट बच्चों बताते हैैं कि उनके पिता विदेश में हैैं या उनकी मां कहीं और काम करती हैैं। ऐसे में जब बच्चों को सच पता चलता है तो फिर वे पेरेंट की बातों पर आसानी से भरोसा नहीं करते।

- बच्चों के पास एक ही पेरेंट है इसलिए बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव करिए कि वह आपसे कोई भी बात कहने में संकोच न करे।

- बच्चों से बात करें और जानें कि उनका दिन कैसा बीता। इससे बच्चों को अकेलापन महसूस नहीं होगा।

विल पावर मजबूत करने से पड़ा फर्क

एक सिंगल पेरेंट हेमा बताती हैैं कि उनके पति का निधन बहुत पहले हो गया था जब उनके तीनों बच्चे काफी छोटे थे। उन्होंने अपने तीनों बच्चों को अकेले ही पाला था। उन्होंने इसके लिए बहुत मेहनत की थी। उन्हें विल पावर मजबूत करनी पड़ी। उन्होंने अपना सारा ध्यान अपने बच्चों पर लगा दिया जिसके कारण आज उनके तीनों बच्चे अच्छी जगह पर काम कर रहे हैैं।

अंदर से टूट चुकी थी लेकिन बच्चों के लिए मजबूत बनी

रेनू भी एक सिंगल पेरेंट हैैं और बताती हैैं कि जब उनके हसबैंड की डेथ हुई थी तो उनके बच्चे बहुत छोटे थे। वह अंदर से काफी टूट चुकी थीं, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों के लिए मेहनत की और आज दोनों अच्छी जगह नौकरी कर रहे हैैं। उन्होंने बताया कि लोगों ने उनसे दूसरी शादी करने को कहा था लेकिन उन्होंने सारा ध्यान बच्चों पर लगाया और जिंदगी में आगे बढ़ीं।

दूसरी मां के होने से जल्दी बड़े हो गए बच्चे

गीता बताती हैैं कि उनकी मां के गुजरने के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली। उनका इरादा तो नेक था कि बच्चों की देखभाल के लिए कोई होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दूसरी मां ने अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान दिया और उनपर नहीं। इसके कारण वह बहुत अकेलापन महसूस करने लगीं। उन्हें अपना सारा काम खुद ही करना पड़ता था। साथ ही पढ़ाई पर भी ध्यान देना होता था। उनका सहारा सिर्फ उनके दो भाई थे।

मां का प्यार दोबारा नहीं मिला

करुणेश ने बताया कि पिता ने दूसरी शादी तो की लेकिन दूसरी मां ने उन्हें वह प्यार नहीं दिया जो उनकी असली मां देती। उन्होंने सब कुछ खुद किया और आज उनकी खुद की कंपनी है।

दूसरी शादी का बच्चों पर असर

- बच्चों को एडजस्ट करने में दिक्कत होती है।

- नए पेरेंट भी कई बार बच्चों को अपना नहीं पाते हैैं।

- बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है।

- नए पेरेंट के अपने बच्चे हों तो वो उनपर ज्यादा ध्यान देते हैैं। इसके कारण बाकी बच्चों को अकेलापन महसूस होने लगता है।

क्या है इसका विकल्प

- अगर दूसरी शादी की भी है तो दोनों पेरेंट्स को बच्चों को उतना ही प्यार और ध्यान देना चाहिए जैसे वह उनका अपना ही हो।

- अगर बच्चे बड़े हों तो दूसरी शादी करने से पहले उनसे खुलकर इस बारे में बात करें फिर कोई भी फैसला लें।

- बच्चों की मानसिक स्थिति को समझें और उस हिसाब से फैसला करें।