लखनऊ (ब्यूरो)। आयुर्वेद कई गंभीर मर्ज में बेहतर परिणाम देता है। राजकीय आयर्वेद कॉलेज में गठिया मरीजों को लेकर हुए शोध में भी बेहतर परिणाम मिले हैं, जहां पहली बार न्यूक्लीयर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) आधारित शोध किया गया। जिसमें गठिया मरीजों में क्लीनिकल और मेटाबॉलिकल सुधार देखने को मिला। यह शोध इंटरनेशनल जर्नल जेएआईएम में भी पब्लिश हुई है। ऐसे में गठिया से पीड़ित मरीजों को इलाज में बड़ी राहत मिलेगी।

37 मरीजों पर किया गया शोध

रूमेटाइड अर्थराइटिस एक प्रकार का ऑटोइम्यून विकार है। जहां बॉडी की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों पर हमला करती है, जिससे सूजन व दर्द आदि की समस्या होती है। आयुर्वेद कॉलेज के आर्थराइटिस रिसर्च सेंटर के हेड डॉ। संजीव रस्तोगी ने बताया कि रिसर्च रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या को लेकर किया गया था। इस बीमारी की कोई सटीक दवा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सही ट्रीटमेंट न मिले तो हाथ पैर टेढ़े मेढ़े हो सकते हैं। इसी को लेकर कॉलेज के रिसर्च सेंटर में जो पेशेंट आते थे उनको रिसर्च में शामिल किया, जिनमें 25-55 वर्ष की उम्र के 37 मरीज थे। यह रिसर्च सीबीएमआर के साथ मिल कर की गई। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि पहली बार आयुर्वेद में एनएमआर तकनीक की मदद से कोई रिसर्च की गई है। उसकी मदद से सेलुलर लेवल के बदलाव का पता लगता है, क्योंकि अर्थराइटिस की जांच की तकनीक बहुत बेसिक है, जो अन्य बीमारी में भी बढ़ा हुआ होता है। ऐसे में क्लीनिकल बेस्ड फाइंडिंग संग सेलुलर लेवल पर बदलाव को देखा गया।

प्री और पोस्ट सैंपल की जांच हुई

डॉ। संजीव रस्तोगी ने बताया कि इस दौरान 57 हेल्दी वालंटियर्स को भी लिया गया। जिनको कोई बीमारी नहीं थी न उनकी कोई दवा चल रही थी। जो मरीज के ही मैचिंग जेंडर और एज के लोग थे। वहीं, रिसर्च में शामिल लोगों का इलाज से पहले ब्लड सैंपल लिया गया और दोनों ग्रुप के सैंपल से मैच किया गया, ताकि पता चल सके कि मरीजों में क्या कमी थी। चूंकि बीमारी को लेकर बायो मार्कर पहले से ही मौजूद है, ऐसे में बदलावों को देखा गया। इस दौरान मरीजों का तीन माह तक आयुर्वेद के अनुसार इलाज किया गया। जिसमें दवा, एक्सरसाइज, खानपान आदि को इलाज पद्धति में शामिल किया गया।

काफी बेहतर बदलाव देखे गये

तीन माह इलाज के बाद जब दोबारा सैंपल जांच के लिए भेजा गया तो पाया गया कि मरीजों में क्लीनिकल सुधार थे। उनमें जो मेटाबोलाइट थे वो हेल्दी बनने लगे। जो ट्रीटमेंट दिया गया उसने मैटाबालिज्म में सुधार किया। मरीजों में क्लीनिकल और बायो केमिकल पैरामीटर में भी बदलाव देखने को मिला,जो नार्मल ग्रुप के पैरामीटर के अनुसार रहा। वहीं, इलाज के बाद मरीजों को दर्द से राहत के साथ दोबारा उठने और चलने-फिरने में राहत मिलने लगी। इससे यह पता चलता है कि आयुर्वेद पद्धति के इलाज से गठिया में काफी राहत मिल सकती है। इससे बीमारी के दोबारा उभरने की संभावना बेहद कम हो जाती है।

आयुर्वेद में एनएमआर तकनीक से पहली बार कोई रिसर्च किया गया। इससे पता चला कि इलाज के बाद रूमेटाइड अर्थराइटिस से काफी राहत मिलती है। इससे इस बीमारी को जड़ से खत्म करने में और मदद मिलेगी।

-डॉ। संजीव रस्तोगी