लखनऊ (ब्यूरो)। दिसंबर की दस्तक से पहले ही शहर के मौसम का मिजाज बदला-बदला नजर आ रहा है। सोमवार को शहर के अलग-अलग हिस्सों में दिनभर बदली छाई रही और शाम को सर्द हवाएं चलीं। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, अचानक बदले मौसम से सोमवार को अधिकतम तापमान में 3.2 डिग्री की गिरावट देखी गई। अमौसी स्थित आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों ने बताया कि पाकिस्तान पर बने पश्चिमी विक्षोभ का असर प्रदेश में देखा गया। प्रदेश के कई जिले सोमवार को धुंध की चपेट में रहे और कई जिलों में बूंदाबांदी से लेकर हल्की बारिश भी हुई।

राजस्थान में बना साइक्लोनिक सर्कुलेशन

आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एम दानिश ने बताया कि पाकिस्तान के ऊपर एक पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ था। इसकी सक्रियता का असर पूरे प्रदेश में साफ नजर आया। पूरे प्रदेश में बादल छाए रहे और कई जिलों में बारिश भी रिकॉर्ड की गई। एम दानिश के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ के अलावा राजस्थान पर साइक्लोनिक सर्कुलेशन भी बना था। ऐसे में दोनों मौसमी गतिविधियों के कारण सोमवार को पारे में गिरावट भी देखी गई। शहर में भी एक दो इलाकों में हल्की फुल्की बूंदाबांदी हुई। मौसमी गतिविधियों के असर से सर्द हवाओं ने ठिठुरन बढ़ाई। शहर का अधिकतम तापमान 23.6 डिग्री दर्ज किया गया। वहीं, न्यूनतम तापमान 14.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मंगलवार से बदलेगा मौसम

मौसम विज्ञानी एम दानिश ने बताया कि मंगलवार से मौसम सामान्य हो जाएगा। सुबह शहर में हल्की धुंध छाएगी, लेकिन दोपहर में आसमान साफ हो जाएगा। उन्होंने बताया कि मंगलवार से दोनों मौसमी गतिविधियों का असर खत्म हो जाएगा। दिन के पारे में एक से दो डिग्री की बढ़त होगी, वहीं रात का पारा लगातार गिरेगा। प्रदेश में मौसम शुष्क रहेगा।

अधिकतम तापमान यहां रहा सबसे कम

मुजफ्फरनगर-21.2 डिग्री सेल्सियस

हरदोई-22 डिग्री सेल्सियस

मेरठ-22 डिग्री सेल्सियस

कानपुर सिटी-22 डिग्री सेल्सियस

प्रयागराज-22.2 डिग्री सेल्सियस

पारा गिरा तो खराब हुई एक्यूआई

शहर में मौसम बदलते ही पॉल्यूशन का लेवल बढ़ गया। सोमवार को शहर का एक्यूआई लेवल 251 दर्ज किया गया, जो खराब की श्रेणी में आता है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि रात के पारे में लगातार गिरावट हो रही है। इसका असर एक्यूआई पर भी पड़ रहा है। सोमवार को दिनभर धुंध छाए रहने और सूरज के न निकलने से एक्यूआई का स्तर बढ़ा। दिनभर वाहनों, सड़क निर्माण समेत तमाम गतिविधियों से जो पॉल्यूशन हुआ वो मौसम और कम तापमान के कारण डिस्पर्स नहीं हो पाया। ऐसे में प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ रहा।