- मडि़यांव पुलिस का सामने आया मानवीय चेहरा,

- युवक की बीमारी से मौत होने पर किया अंतिम संस्कार

- पिता की पहले ही हो चुकी है मौत, मृतक के छोटे भाई को बंधाया ढांढस

LUCKNOW: खाकी के दामन में दाग तो कई बार लगते हैं, लेकिन मित्र पुलिस की नजीर भी कई बार देखने को मिलती है। फादर्स डे के दिन रोड पर भाई की मौत का विलाप कर रहे एक किशोर को देख पुलिस ने न केवल उसके सिर से पहले ही उठ चुके पिता के साये की जिम्मेदारी निभाई बल्कि उसके भाई का अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज से कराया। साथ

पहले ही उठ चुका सिर से पिता का छाया

कई साल पहले बीमारी ने पिता को छीन लिया। ऐसे में नन्हे गोलू की अंगुली दो बरस बड़े भाई आदर्श ने थामी। अभी फुटपाथ पर रहते हुए वह जीवन की मुश्किलों से जूझना सीख ही रहा था कि बीमार आदर्श ने भी सदा के लिए साथ छोड़ दिया। दुलार करने वाले भाई के शांत पड़ गए शरीर को देखकर असहाय गोलू फफक पड़ा। ऐसे में राजधानी के मडि़यांव थाने की पुलिस मसीहा बनी। अंतिम संस्कार का इंतजाम किया और खुद स्थानीय लोगों के साथ मिलकर अपने हाथों से कब्र खोदी। आदर्श तो दुनिया छोड़ गया, लेकिन पुलिस के मानवीय चेहरे ने नए आदश्र्1ा गढ़ दिए।

बीमारी से हुई थी भाई की मौत

मूलरूप से हरदोई के अतरौली भरावन निवासी गोलू (15 वर्ष) के पिता की कई साल पहले बीमारी के कारण मृत्यु हो चुकी है। वह अपने बड़े भाई आदर्श (17 वर्ष) के साथ यहां भिठौली के अजीज नगर में फुटपाथ पर रह रहा था। दिन में गाडि़यों की सफाई और होटलों में बर्तन धुलने से जो रुपये मिलते, उनसे दोनों भाई जीवन यापन कर रहे थे। बीते कुछ दिनों से आदर्श की कुछ तबियत खराब थी। उसे मानसिक दिक्कत भी थी। रविवार सुबह जब गोलू, भाई को जगाने लगा। आदर्श के शरीर में कोई हरकत न देख वह घबरा गया और रोने लगा। आस पड़ोस के लोगों को बुलाया। तब पता चला कि आदर्श की मौत हो चुकी है। आस-पड़ोस के लोग चले गए।

कराया अंितम संस्कार

असहाय गोलू रो रहा था। इस बीच अजीजनगर चौकी प्रभारी अशोक कुमार सिंह उधर से निकले। किशोर को रोता देखा तो पूछताछ की। गोलू की बातें सुनकर उनका भी गला भी रुंध गया। उन्होंने इंस्पेक्टर मडि़यांव मनोज सिंह को बताया। सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर भी पहुंच गए। उन्होंने ढांढस बंधाते हुए उसको शांत कराया। फिर दो पुलिस कर्मियों को बुलाया। रुपये देकर अंतिम संस्कार का सामान मंगवाया। चूंकि आदर्श ¨हदू था इसलिए आसपास के लोगों की मदद से पुलिस कर्मियों ने शव पर कफन डालकर बांधा। पड़ोस स्थित कब्रिस्तान पहुंचे। वहां कब्र खोदी, इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया। राजधानी पुलिस कर्मियों की संवेदना देखकर सभी सराहना कर रहे थे।

खाकी का रूप देख हुए सभ्ाी भावुक

अंतिम संस्कार के बाद इंस्पेक्टर मडि़यांव ने गोलू को समझा-बुझाया। उसे आर्थिक मदद दी। इसके बाद खाना मंगाकर उसे खिलवाया। आस पड़ोस के लोग खाकी के इस रूप को देखकर भावुक हो उठे। उनके मुंह से यही निकला कि साहब ये खाकी है, जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी है। जब तक मनुष्य का जीवन है। किसी भी प्रकार की घटना होती है तो लोग सीधे पुलिस को ही फोन करते हैं। पुलिस उनकी मदद करती है। वहीं, जिंदगी के बाद भी खाकी पीडि़तों की इस तरह मदद करती है।