- 25-25 हजार का जुर्माना भी भरेंगे सभी पांचों आरोपी

-सुनील सैनी उर्फ पहलवान और राहुल राय को 10-10 साल की कैद व 5-5 हजार रुपये जुर्माना

LUCKNOW : राजधानी के सनसनीखेज माज हत्याकांड में छह साल बाद दोषियों को कोर्ट ने उनका अंजाम सुनाया। हत्याकांड के मुख्य मास्टरमाइंड बर्खास्त इंस्पेक्टर संजय राय समेत पांच आरोपियों को स्पेशल जज पीसी एक्ट स्वप्ना सिंह ने उम्रकैद की सजा सुनाई। इन आरोपियों में संजय के अलावा रामबाबू उर्फ छोटू, अजीत राय उर्फ सिंटू, संदीप राय, राकेश सोनी शामिल हैं। इन पर 25-25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। वहीं हत्याकांड में शामिल सुनील सैनी उर्फ पहलवान और राहुल राय को 10-10 साल की सजा व 5-5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है।

यह थी घटना

29 मई 2013 को इंदिरानगर के फरीदीनगर में तीन अज्ञात शूटर्स ने हुस्न बानो के मकान में घुसकर 14 वर्षीय माज अहमद की हत्या कर दी थी। पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि इस हत्याकांड के पीछे तत्कालीन ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल के प्रभारी इंस्पेक्टर संजय राय का हाथ है। पूरी विवेचना के बाद पुलिस ने संजय के नौकर रामबाबू उर्फ छोटू, राहुल राय, अजीत राय, सुनील सैनी उर्फ पहलवान, संजय के भाई अजय राय, राकेश कुमार सोनी और राहुल राय व अजीत यादव उर्फ बंटी यादव को अरेस्ट किया था।

प्रेम प्रसंग में नाकाम रहने पर करवाई हत्या

बीते बुधवार को सुनवाई पूरी करते हुए स्पेशल जज ने अपने 44 पेज के आदेश में कहा कि साक्ष्यों के आधार पर यह साबित हो गया कि संजय राय ने ही माज की करीबी रिश्तेदार ट्रेनी इंस्पेक्टर के साथ अपने असफल प्रेम प्रसंग की वजह से अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर हत्या कराई थी। इस आधार पर कोर्ट ने संजय राय के अलावा रामबाबू उर्फ छोटू, अजीत राय उर्फ सिंटू, राहुल राय, सुनील कुमार सैनी उर्फ पहलवान, संदीप राय और राकेश कुमार सोनी को दोषी करार देते हुए सजा पर सुनवाई के लिये 28 फरवरी की तिथि निर्धारित की थी।

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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक

हत्याकांड के खुलासे के बाद डीजीपी ने संजय राय को सेवा से बर्खास्त कर दिया था। लेकिन, संजय राय इसके खिलाफ हाईकोर्ट गया। जहां 28 सितंबर 2016 को हाईकोर्ट ने उसे राहत देते हुए उसकी बर्खास्तगी को रद कर दिया। हालांकि, इसके बाद उसका निलंबन जारी रखने के आदेश दिये थे। हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जहां न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने हाईकोर्ट के उसकी बर्खास्तगी के आदेश को रद करने पर रोक लगा दी थी।