LUCKNOW : घरों में अजादारी को लेकर इमाम-ए-जुमा मौलाना कल्बे जवाद नकवी के शनिवार को दिए गए धरने के बाद राजधानी समेत प्रदेश के हर जिले में घरों में अजादारी शुरू हो गई।

ऑनलाइन मजलिस सुनी

मुहर्रम के तीसरे दिन रविवार को घरों में अजादारों ने ऑनलाइन मजलिस सुनी तो मौलानाओं ने इमाबाड़े में कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन के अनुसार मजलिस को खिताब किया। कोरोना की वजह से बदले अंदाज में अजादार पैगंबर के नवासे हजरत इमाम हुसैन का गम मना रहे हैं। पुराने शहर में कई जगह शारीरिक दूरी के साथ अशरा-ए- मजलिस का सिलसिला जारी रहा।

कुर्बानी का महीना

मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने चौक स्थित इमामबाड़ा गुफरानमआब में ऑनलाइन हो रही अशरे की तीसरी मजलिस को खिताब किया। मौलाना ने कहा कि जो भी इंसान मुहर्रम की मुबारकबाद दे वो यजीदी नस्ल से है, क्योंकि मुहर्रम रसूल अल्लाह की औलादों की कुर्बानी का महीना है। कर्बला के बाद इंसान दो हिस्सों में बट गया। एक हुसैनी जो इंसानियत पंसद हैं, दूसरा यजीदी। जो आजतक अजादारी के खिलाफ हैं और मुहर्रम का चांद नजर आने के खुशी का इजहार कर मुबारकबाद देता है। कुछ लोग मुहर्रम में कर्बला के शहीदों की याद में रोने वालों पर सवाल खड़े करते हैं, लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि रसूल ने भी जनाबे हमजा की वफात पर आंसू बहाए थे। जनाबे हमजा का गम रसूल का गम था। अजादारों ने नम आंखों से इमाम को पुरसा पेश किया। चौक स्थित इमामबाड़ा आगाबाकर में मौलाना मीसम जैदी ने मजलिस को खिताब किया। विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित मदरसा नाजमिया में वरिष्ठ धर्मगुरु मौलाना हमीदुल हसन ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के दौर में सरकार की गाइडलाइन पर अमल कर पाबंदियों के बीच शिया समुदाय कर्बला के शहीदों का गम मना रहे हैं। ताकि वह लोग जो इस्लाम के खिलाफ साजिश कर रहे हैं न सिर्फ उनको बल्कि पूरी दुनिया यह बता सकें कि सच्चा इस्लाम क्या है। वह इस्लाम जिसको बचाने के लिए कर्बला वालों ने अपनी कुर्बानी दी। आज लोग इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ रहे हैं, लेकिन इस्लाम व कुरआन में किसी भी इंसान पर जुल्म करने की इजाजत नहीं है। सही इस्लाम को समझने के लिए कुरआन और अहलेबैत दोनों को मजबूती से थामे रहना होगा। अकबरी गेट स्थित इमामबाड़ा जन्नत मआब सैयद तकी साहब सहित कई स्थानों पर मजलिस हुई। उधर, इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने ऑनलाइन मजलिस को खिताब किया।