- सुबह 9:24 तक रहेगा शिव योग

- 11 मार्च को मनेगी महाशिवरात्रि

- शिव मंदिरों में तैयारियां अंतिम दौर में

- राशि अनुसार करें पूजा मिलेगा विशेष फल

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रुष्टयहृह्रङ्ख: महादेव के विवाह का पर्व महाशिवरात्रि गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन शिव भक्त व्रत रखकर शिव उपासना और आराधना करते हैं। ज्योतिषाचार्य आनंद दुबे ने बताया कि इस दिन चतुर्दशी 11 मार्च को दोपहर 2:41 मिनट से 12 मार्च दोपहर 3:03 मिनट तक रहेगी। महाशिवरात्रि की सुबह 9:24 तक शिव योग रहेगा। उसके बाद सिद्ध योग हो जाएगा, जो 12 मार्च सुबह 8:29 मिनट तक रहेगा। शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभदायी होते हैं।

पंचामृत का विशेष महत्व

पं। राकेश पांडेय के अनुसार इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र पूरे दिन है। इस वर्ष की महाशिवरात्रि शुभकारी है। स्कंध पुराण के अनुसार इस दिन सूर्यास्त के बाद भगवान शिव पार्वती और अपने गणों के सहित भूलोक के सभी मंदिरों में प्रतिष्ठित रहते हैं। प्रथम प्रहर में षोडशोपचार पूजन कर गाय के दूध, द्वितीय प्रहर में गाय के दही, तृतीय प्रहर में गाय के घी व चतुर्थ प्रहर में पं@ामृत से अभिषेक करने का विधान है

रुद्राभिषेक का विशेष महत्व

रुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है। धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिवलिगं पर गोदुग्ध, सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को गोदुग्ध में चीनी व मेवे के घोल, शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल, पुत्र प्राप्ति के लिए मक्खन या घी, अभीष्ट की प्राप्ति के लिए गोघृत तथा भूमि भवन के साथ वाहन की प्राप्ति के लिए शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए।

गृहशांति के लिए करें यह उपाय

पं। राकेश पांडेय बताते हैं कि नव ग्रहों के पीड़ा निवार के लिए भी उपाय किए जा सकते हैं। यदि जन्म कुंडली में सूर्य से संबंधित कष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तों को पीस कर गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें। चंद्रमा से संबंधित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगाजल में मिलाकर, मंगल से संबंधित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगाजल में मिलाकर, बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से, गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गोदुग्ध से, शुक्र से संबंधित रोग एवं कष्ट हो तो गोदुग्ध के छाछ से, शनि से संबंधित रोग या कष्ट होने पर शमी के पत्ते को पीस कर गंगाजल में मिलाकर, राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से, केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगाजल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करने पर कष्टों का निवारण होता है। शिवलिंग पर चढ़ाई गयी कोई भी वस्तु जनसामान्य के लिए ग्राह्य नहीं है। अपितु अलग से मिष्ठान, फल का भोग लगाकर उसे इष्ट मित्रों में वितरण कर स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए।

मास्क के बिना एंट्री नहीं

शिवरात्रि को लेकर राजधानी के शिवालयों में तैयारी अंतिम चरण में हैं। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने बताया कि गोमती के बंधे तक श्रद्धालुओं की कतार लगेगी। सभी भक्तों को मास्क और दूरी बनाकर रखने की अपील की गई है। कपाट भोर में श्रंगार और आरती के बाद खोल दिए जाएंगे। दिनभर पूजन की सुविधा होगी। इसके अलावा ब्रह्माकुमारीज गोमती नगर द्वारा एक विशाल 12 ज्योतिर्लिंग की झांकी गुलजार उपवन सुल्तानपुर रोड पर निकाली जाएगी, जिसकी पूरी तैयारी की जा चुकी है।

महादेव को लगेगा 56 भोग

चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर में सुबह 4 बजे से जलाभिषेक होगा। गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं मिलेगी। इसके लिए पाइप की व्यवस्था की गई है। फूलों का श्रृंगार और शाम को फलाहारी प्रसाद और रात 9:30 बजे महाआरती होगी। वहीं सदर के द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर में रात 2 से सुबह 6 बजे तक रुद्राभिषेक के बाद कपाट खुल जाएंगे। महादेव का भव्य श्रृंगार किया जायेगा। शाम को 56 भोग और 8 बजे महाआरती होगी।

होगी भस्म आरती

राजेंद्रनगर स्थित महाकाल मंदिर में दो दिवसीय महाशिवरात्रि उत्सव के तहत 10 मार्च को मेहंदी एवं हल्दी रस्म महिला मंडल द्वारा शाम सात बजे होगी। 11 मार्च शाम सात बजे शिव पार्वती विवाह धूमधाम से मनाया जायेगा। बाबा की शादी का कार्ड भी स्पेशल से छपाया गया है। भक्तों को ठंडाई पिलाकर स्वागत किया जायेगा जबकि तड़के चार बजे महाकाल की तर्ज पर भस्म आरती और 6:30 से रुद्राभिषेक होगा।

राशि अनुसार करें अभिषेक

मेष - शहद व गन्ने का रस

वृषभ - दूध व दही

मिथुन - दूर्वा से

कर्क - दूध व शहद

सिंह - शहद व गन्ने के रस

कन्या - दूर्वा व दही

तुला - दूध व दही

वृश्चिक - गन्ने का रस, शहद व दूध

धनु - दूध व शहद

मकर - गंगा जल में गुड़ डालकर मीठा रस

कुंभ - दही

मीन - दूध, शहद व गन्ने का रस