लखनऊ (ब्यूरो)। नगर निगम की ओर से नए वित्तीय वर्ष को लेकर हर बार भारी भरकम बजट तो पास कर दिया जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि नगर निगम पर देनदारी का ग्रहण हर बार भारी पड़ता है। नगर निगम की आय से जुड़ी सबसे बड़ी उम्मीद हाउस टैक्स वसूली या लाइसेंस शुल्क है, लेकिन वो भी निर्धारित लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाती। जिसकी वजह से नगर निगम की देनदारी कम होती नजर नहीं आ रही है।

भवन स्वामी बढ़ रहे, टैक्स नहीं

नगर निगम एरिया का लगातार विस्तारीकरण हो रहा है। इसके बावजूद हाउस टैक्स के मद में आय बढ़ती हुई नजर नहीं आ रही है। हाउस टैक्स वसूली लक्ष्य की बात की जाए तो शत प्रतिशत तो दूर की बात है, 50 फीसदी ही आय बामुश्किल पहुंच पा रही है। नगर निगम की ओर से टैक्स न देने वाले भवन स्वामियों को नोटिस भी दी जाती है, लेकिन कोई खास असर नहीं नजर आता है। पहले से टैक्स वसूली में स्थिति जरूर सुधरी है, लेकिन अभी स्थिति चिंताजनक है।

म्युटेशन तक नहीं कराते

नगर निगम की आय को झटका लगने की एक वजह यह भी है कि नए मकान बनवाने वाले लोग टैक्स असेसमेंट और म्युटेशन से दूर रहते हैं। जिसकी वजह से उनका मकान नगर निगम के अभिलेखों में दर्ज नहीं हो पाता है। ऐसे में नगर निगम को राजस्व संबंधी नुकसान होता है। नगर निगम की ओर से सर्वे तो कराया जाता है, लेकिन शत प्रतिशत मकानों तक पहुंचना संभव नहीं हो पाता है।

280 करोड़ की देनदारी

वर्तमान समय में नगर निगम के ऊपर 280 करोड़ से अधिक की देनदारी है। ऐसे में खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो भी टैक्स या पार्किंग वसूली से आय होती है, उसका एक बड़ा हिस्सा इस देनदारी में चला जाता है। वहीं नगर निगम की ओर से पीजीआई एरिया में फ्लैट्स भी बनवाए गए हैं, लेकिन अभी तक उनका भी शत प्रतिशत निस्तारण नहीं हो सका है।

विस्तारीकरण हुआ, लेकिन सुविधाओं का नहीं

नगर निगम की ओर से अपने एरिया का तो विस्तार कर लिया गया है, लेकिन अभी तक नए एरियाज में सुविधाएं पहुंच नहीं सकी हैं। जिसकी वजह से उन एरियाज में रहने वाले लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बजट में भी इन इलाकों के लिए अलग से कोई राशि नहीं दी जाती है।