लखनऊ (ब्यूरो)। किरण फातिमा ने बताया कि रात में करीब दो बजे उनकी आंख खुली तो घर में धुआं दिखाई दिया। देखते ही देखते आग ग्राउंड फ्लोर से पहली मंजिल तक पहुंच गई। पड़ोसियों ने किसी तरह घर से बाहर निकलवाया। उन्होंने बताया कि पिता इरशाद अली की 11 नवबंर को मौत हो गई थी, अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में परिवार के सभी लोग पैतृक आवास गए हुए थे। इस कारण वह घर में अकेले थी।

फायर कर्मियों को भी परेशानी हुई
एफएसओ राम मिलन भारती का कहना है कि ग्राउंड फ्लोर पर गत्तों में अधिक मात्रा में सामान होने से कुछ ही देर में आग ने विकराल रूप ले लिया। प्लास्टिक व अन्य सामान होने के कारण दमघोंटू धुएं से फायर ब्रिगेड कर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। शुरुआती जांच पड़ताल में शार्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है।

पड़ोसियों की सूझ-बूझ से बची जान
पड़ोसियों की सूझ-बूझ से घर में मौजूद किरण फातिमा की जान बची। आग की लपटों के बीच महिला की चीख पुकार सुन पड़ोसियों ने मौके पर पहुंचकर पहले तो उनका हौसला बढ़ाया। फिर सीढ़ी खिड़की के पास लगाकर उन्हें उतार लिया। किरण का कहना है कि सामान तो काफी जल गया, पर किसी तरह जान बच गई।

फेरी का सामान भरा होने से आग हुई विकराल
किरण फातिमा ने बताया कि परिजन फेरी लगाते हैं। ग्राउंड फ्लोर में फेरी का काफी सामान बच्चों के खिलौने, बोतल व डायपर के गत्ते समेत अन्य समान भरा था। जो पूरी तरह से जलकर राख हो गया। वहीं पहली मंजिल पर रजाई- गद्दे व अन्य सामान भी आग की चपेट में आ गया।

संकरा रास्ते होने से आग बु़झाने में हुई परेशानी
एफएसओ राम मिलन भारती ने बताया कि रास्ता संकरा होने से दमकल की बड़ी गाड़ी घटनास्थल पर नहीं पहुंच सकी। बड़ी गाड़ी सतखंडा पुलिस चौकी के पास ही रुक गई। इसके बाद फायर की छोटी गाडिय़ां भेजी गई। छोटी गाड़ी का पानी खत्म होने पर पुलिस चौकी के पास खड़ी बड़ी गाड़ी से पानी भरकर ले जाया गया। बड़ी गाड़ी घटनास्थल के पास न पहुंच पाने से आग को काबू करने में अधिक मशक्कत करनी पड़ी।

बड़ा हादसा टला
फायर कर्मियों ने बताया कि ग्राउंड फ्लोर पर गत्तों के बीच तीन सिलेण्डर रखे हुए थे। गनीमत रही की सिलेंडर तक आग नहीं पहुंची। समय रहते ही सिलेंडर बाहर निकाल लिया गया। आग की चपेट में आकर सिलेंडर फट जाता तो बड़ा हादसा हो सकता था।