-डैमेज कंट्रोल के लिए पिछड़े और दलित नेताओं को दी गयी जिम्मेदारी

LUCKNOW: पार्टी से नेताओं के पलायन के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अब फेरबदल शुरू कर दिया है। राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ का कद जहां बढ़ा गया है, वहीं पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरा नसीमुद्दीन सिद्दीकी की भी जिम्मेदारी अशोक सिद्धार्थ के हवाले कर दी गयी है। लखनऊ और कानपुर के अभी तक कोऑर्डिनेटर रहे नसीमुद्दीन को हटाकर अशोक सिद्धार्थ को जिम्मेदारी दी गयी है। अशोक सिद्धार्थ को हाल ही में मायावती ने राज्यसभा भेजा है।

सुरक्षित सीटों का जिम्मा नसीमुद्दीन को

मायावती ने नसीमुद्दीन को पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड की जिम्मेदारी दी है। उन्हें आगरा और अलीगढ़ मंडल की सुरक्षित सीटों के कील और कांटों को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी दी गयी है। वह उत्तराखंड के प्रभारी बनें रहेंगे। बीएसपी में मुरादाबाद का काम देख रहे एमएलसी अतर सिंह राव को अब मेरठ और अलीगढ़ की जिम्मेदारी दी गयी है। आगरा के जोनल कोऑर्डिनेटर सुनील चित्तौड़ के पर पूरी तरह से कतर दिये गये हैं। उनसे आगरा और अलीगढ़ मंडल की जिम्मेदारी लेकर सिर्फ आगरा जिले की जिम्मेदारी दी गयी है।

बसपा के चार नये प्रदेश महासचिव

मायावती ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को कोई बड़ी जिम्मेदारी फिलहाल नहीं दी है। जबकि पिछड़ों को जोड़ने की कोशिश में आरएस कुशवाहा, प्रताप सिंह बघेल, बिजेंद्र चौहान और सुरेश कश्यप को प्रदेश का महासचिव नियुक्त किया है और उन्हें मंडलवार जिम्मेदारियां सौंपी गयी हैं। इसके अलावा पार्टी में कई नेताओं के कार्यक्षेत्रों में बदलाव किया गया है। वहीं जिलाअध्यक्षों का भी भार कम किया गया है। हर जिलाअध्यक्ष के साथ एक जिला कोऑर्डिनेटर होगा।

पार्टी से नेताओं के पलायन फैसला

बीएसपी में फेरबदल को पार्टी में बड़े नेताओं के पलायन के बाद यह बड़ा फेरबदल है। जहां स्वामी प्रसाद मौर्या के पार्टी छोड़ने के बाद बीएसपी में दूसरे पिछड़े नेताओं को तरजीह दी जा रही है वहीं आरके चौधरी की बगावत के बाद अशोक सिद्धार्थ का कद मायावती ने बढ़ा दिया है। उन्हें लखनऊ और कानपुर जैसे जोन का जोनल कोआर्डिनेटर बना दिया है। वहीं पार्टी से नाता तोड़ने वालों का सिलसिला जारी है। बागपत, गाजियाबाद, सुल्तानपुर के बाद राष्ट्रीय सचिव परमानंद यादव ने बसपा छोड़कर मायावती की पेशानी पर बल ला दिया है।