लखनऊ (ब्यूरो)। कोविड के दौरान मरीजों में फंगल इंफेक्शन देखने को मिला था, जिसमें म्यूकरमायकोसिस खासतौर पर था। वहीं, नवंबर में हेल्थ मिनिस्ट्री ने इसको लेकर अर्लट जारी किया है। क्योंकि इम्युनोकाम्प्रोमाइज्ड लोगों में फंगल इंफेक्शन होते हैं। पर लोगों में एंटी फंगल रेजिस्टेंस बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है। इसी को ध्यान में रखकर लैब डायग्नोसिस कैसे करना है, उसका मैनेजमेंट कैसे करना है, इसके बारे में जानकारी बेहद जरूरी है। ये बातें प्रो। मालिनी कपूर ने दीं।
गलत इस्तेमाल बड़ी वजह
सिक्वेंसिंग आना जरूरी
चेयरपर्सन और विभागाध्यक्ष प्रो। अमिता जैन ने बताया कि वर्कशॉप के दौरान पार्टिसिपेंट्स को सिक्वेंसिंग के बारे में बताया, क्योंकि हर जगह इसकी सुविधा उपलब्ध नहीं है। कोरोना के बाद मेडिकल फील्ड में इसका यूज बढ़ रहा है। इस दौरान पार्टिसिपेंट्स को कोरोना वायरस पर सिक्वेंसिंग करना सीखाया गया और बताया गया कि इसे कैसे, कब और कहां करना चाहिए।
बैक्टीरिया को पहचान सकते हैं
को-आर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ। शीतल वर्मा ने बताया कि वर्कशॉप में पहले दिन माल्डी टेस्ट के बारे में दिल्ली से आये डॉ। विकास मनचंदा ने बताया। इस टेस्ट की मदद से कैसे बैक्टीरिया को पहचाना जा सकता है और कैसे बचाव किया जाए, इसके बारे में पता कर सकते हैं। इसके अलावा, जीन टारगेटिंग, फंगल इंफेक्शन का मुकाबला, नैनोपोर एनजीएस, स्कैनिंग इलेक्ट्रान माइक्रोसेपी आदि पर हैंड्स ऑन ट्रेनिंग देने का काम किया गया, जिसे प्रो। सोनल सक्सेना, डॉ। माला छाबड़ा, डॉ। अनुज शर्मा, प्रो। आरके गर्ग कोचरन, प्रो। विमला जैन आदि द्वारा दिया गया।