लखनऊ (ब्यूरो) । केजीएमयू के डॉ। विवेक सिंह ने बताया कि हमने 2016 में दूध में मिलने वाले प्रोटीन पर रिसर्च शुरू किया। इसके लिए दूध से प्रोटीन निकाला गया और उसे एक नए ड्रग में तब्दील किया, जिसे लैक्टल्ब्यूमिन ओलिएक एसिड नाम दिया गया। ओलिएक एसिड इंसान में नेचुरली पैदा होता है। ये दोनों मिलकर ड्रग सिंथेसाइज करते हैं, जो शरीर को कैंसर से लडऩे की शक्ति देता है।

केवल कैंसर सेल को मारेगा ड्रग
डॉ। विवेक ने बताया कि ड्रग को सिंथेसाइज किया गया और उसे ब्लड कैंसर के सेल में टेस्ट किया गया। परिणाम आया कि कि जो ब्लड कैंसर के सेल होते हैं, यह ड्रग उनको लगभग मार देता है। इससे नार्मल सेल को कोई नुकसान नहीं होता है। जबकि कीमो में साइड इफेक्ट होते हैं।

ड्रग रेजिस्टेंट मामले में भी असरकार
उन्होंने बताया कि कई बार देखने में मिलता है कि कई मरीज कीमो रेजिस्टेंट होते हैं और उनमें कोई ड्रग काम नहीं करता है। लेकिन इसके यूज से देखा गया कि यह कीमो रेजिस्टेंट मरीजों में भी काम करता है। ऐसे में यह मेडिकल फील्ड में एक बड़ी सफलता है। अगर किसी मरीज को कोई जेनेटिक प्रॉब्लम होगी तो यह ड्रग उसे भी रोक देगा। इससे कैंसर सेल मल्टीप्लाई नहीं होंगे।

बच्चों में खतरा ज्यादा
डॉ। विवेक के मुताबिक वे नवजात बच्चे जो मां का दूध नहीं पीते हैं, उनमें कैंसर का खतरा सर्वाधिक होता है। ऐसे में बच्चों में ब्रेस्ट फीडिंग अच्छे से होनी चाहिए, क्योंकि मां के दूध में यह नेचुरली बन जाता है।

कैंसर को कर लिया कवर
डॉ। विवेक ने बताया कि उनको 16 नवंबर को पता चला कि वे ब्लड कैंसर का शिकार हैं। इसके बाद उन्होंने इस ड्रग का खुद पर यूज किया और 2-3 जनवरी को रिपोर्ट आई की कैंसर को पूरी तरह कवर कर लिया गया है। इतना ही नहीं इसका ट्रायल भी चल रहा है। जिसका रिजल्ट 6 से 8 माह में आने की उम्मीद है।