- टोक्यो में पदक जीतना होगी मिल्खा को सच्ची श्रद्धांजलि

LUCKNOW: मिल्खा सिंह का राजधानी से वैसे तो कोई सीधा जुड़ाव नहीं था लेकिन उन्हें जब भी मौका मिलता था तो वे नवाबी नगरी आने से चूकते नहीं थे। करीब दो साल पहले वह यहां के एक स्कूल के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। राजधानी में उनके लाखों चाहने वाले हैं, जिनकी आंखों में उनके निधन की खबर सुनते ही आंसू आ गए। मिल्खा सिंह जब भी यहां आते और जिससे भी मिलते, उसे अपना बना लेते थे। राजधानी के खिलाडि़यों को यकीन नहीं हो रहा है कि अब मिल्खा सिंह उनके बीच नहीं हैं

हमेशा खेल के बारे में सोचते थे

मिल्खा सिंह न केवल एक शानदार खिलाड़ी थे, बल्कि बेहद अच्छे इंसान भी थे। वह हमेशा यही कहते थे कि कोई भारतीय एथलीट ओलंपिक में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करे। कुछ ही दिनों बाद टोक्यो ओलंपिक होना है, जिसमें अगर हमारा कोई एथलीट ओलंपिक में पदक जीतता है तो यही मिल्खा सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

डॉ। आरपी सिंह, खेल निदेशक

बदल दिया खेल परिदृश्य

1994 में हॉकी विश्वकप का चंडीगढ़ में कैंप लगा था तब मिल्खा सिंह हमारे पास आए थे। वहां उन्होंने कहा था कि मैदान में उतरो तो बस जीत के बारे में सोचो। शार्ट काट नहीं मेहनत से आगे बढ़ो। वह महानतम खिलाड़ी थे जिन्होंने भारतीय खेल का परिदृश्य बदल दिया। उन्होंने एथलीट के साथ संपूर्ण भारतीय खेल को ऊंचाई पर पहुंचाने का काम किया। उनके जाने से एक अपूर्णीय क्षति हुई है, जिसकी भरपाई संभव नहीं है।

रजनीश मिश्र पूर्व कप्तान, भारतीय हॉकी टीम

सीख लेने की जरूरत

हम लोग हमेशा मिल्खा सिंह के बारे में सुनते और पढ़ते आ रहे हैं। ऐसे कई मौके आए जब उन्होंने देश का मान बढ़ाया है। वह हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। देशहित में उनका अतुलनीय योगदान रहा है। हर किसी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उनके जैसा एथलीट पैदा होना बहुत मुश्किल है। हमारे युवा खिलाडि़यों को उनसे काफी कुछ सीखने की जरूरत है।

वरुण कुमार, पूर्व एथलीट

उनके नाम पर शुरू हो प्रोजेक्ट

भारत में गिने-चुने एथलीट रहे हैं। मिल्खा सिंह जैसा कोई दूसरा खिलाड़ी नहीं होगा। हमारे युवा खिलाडि़यों को उनसे संघर्ष से सीखना चाहिए। उनके न रहने से उन सारी चीजों में कमी न आने पाए, इस बात का हमें ध्यान रखना होगा। फेडरेशन या भारत सरकार को उनके नाम से कोई प्रोजेक्ट शुरू करना चाहिए।

मनोज पटेल, पूर्व एथलीट