लखनऊ (ब्यूरो)। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को चंद्रोदय ब्यापिनी में यह करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस वर्ष गुरुवार का दिन कृत्तिका नक्षत्र रात्रि तक रहेगा। सिद्धि योग के बाद व्यतिपात योग मिल रहा है। यह स्त्रियों का मुख्य व्रत व त्योहार है। सौभाग्वती स्त्रियां अपने पति की रक्षार्थ यह व्रत करती हैं। यह जानकारी ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय ने दी।

इस तरह करें पूजा

रात्रि के समय भगवान शिव, चंद्रमा, कार्तिकेय आदि के चित्रों व सुहाग की वस्तुओं की पूजा करती हैं। सबसे ऊपर चंद्रमा, उसके नीचे शिव, उसके नीचे कार्तिकेय के चित्र दीवाल पर बनाकर उनका पूजन करना चाहिए। आज के दिन निर्जला व्रत रहने का विधान है। शाम को चंद्रमा को अर्घ देकर बिना नमक का भोजन करेंं। पीले मिट्टी की गौरी जी का चित्र बनाकर उनकी पूजन करना चाहिए।

इस मंत्र का करें जाप

ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय के अनुसार पूजन मंत्र चं चन्द्रमसे नम: शिवाय नम: और विशेष मंत्र षडमुखाय विद्महे मयूर वाहनाय धीमहि तन्नो कार्तिक प्रचोदयात से निष्ठा पूर्वक पूजन करना चाहिए। जो स्त्रियां इस व्रत को निष्ठा पूर्वक करती है वो आजीवन सौभाग्यवती बनी रहती हैं।

पहला करवाचौथ नहीं रख सकेंगी

इस वर्ष शुक्रास्त यानि शुक्र के अस्त होने के कारणवश जो पहली बार महिलाएं करवा व्रत करना चाहती हैं, उन्हें यह व्रत नहीं करना चाहिए। इसका कारण यह है कि किसी भी नए व्रत या नया कार्य करने से पहले शुक्र का उदय होना अति आवश्यक होता है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए।

सरगी के साथ होगी शुरुआत

करवाचौथ के अवसर पर सरगी का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व सरगी खाई जाती है। इसमें सास द्वारा अपनी बहुओं को मिठाई, ड्राईफ्रूट्स, नमकीन आदि देती हैं। इसे सूर्योदय से पहले खाने के बाद व्रत की शुरुआत की जाती है। महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रख कर शाम को चंद्रमा पर अर्घ देने के बाद व्रत का पारण करती हैं।