लखनऊ (ब्यूरो)। 'काम करने की, खुद से निर्णय लेने की, जीने की और ईच्छाओं को सामने रखने की आजादी ही महिला सशक्तिकरण है। पुरुष महिलाओं को आजादी देने की बात तो करते हैं, लेकिन जैसे ही हम उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते, वे हमको हटा देते हैं। पर हमें समझना चाहिए कि नारी होने से पहले वह मनुष्य है। हमको यह आजादी शुरू से नहीं मिली, इसलिए आज हम यह बोल रहे हैं,' ये बातें मंगलवार को मोटिवेशनल स्पीकर जया कुमारी ने महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन द्वारा गन्ना संस्थान में संवाद वेणी आयोजन के दौरान बताईं।

परवरिश में शामिल किया जाये

जया कुमारी ने आगे बताया कि भगवान ने किसी इंसान से भेदभाव नहीं किया है, इसलिए हमें लड़कों और लड़कियों में भी अंतर नहीं करना चाहिए। लड़कियों की इज्जत कैसे करें, यह लड़कों का सिखाना चाहिए। यह उसकी परवरिश में शामिल होना चाहिए, वरना वह केवल जुबानी इज्जत ही करेगा। पहले के दौर में घर के फैसले महिलाएं और बाहर के फैसले पुरुष लेते थे। पर अब हालात बदल गये हैं, जिससे दिक्कतें सामने आ रही हैं।

पुरुषों पर शुरुआत से ही बोझ

पुरुषों पर जिम्मेदारी के बोझ के सवाल पर जया कुमारी बताती हैं कि लड़कों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि आपको ही सबकुछ करना है। पढ़ाई, नौकरी, कमाई, घर चलाना आदि सबकुछ उनको ही करना है, जिसके कारण वे बोझ तले दबे रहते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। लड़कियों को भी बराबर से जिम्मेदारी उठानी चाहिए।

बिना आध्यात्म सुकून नहीं

आजकल की भागदौड़ भी जिंदगी में खुद को अकेलेपन की समस्या पर उन्होंने बताया कि आजकल लोगों के पास पैसा और काम तो बहुत है, लेकिन सुकून नहीं है। जो बिना आध्यात्म के नहीं मिल सकता है। अगर आप अकेले हैं तो खुद को जानने में समय बिताएं नाकि ओवरथिंकिंग करने में, क्योंकि लोग खुद को छोड़कर दुनिया के बारे में बहुत जानते हैं। कार्यक्रम के दौरान पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार, डीजी फायर सर्विसेज अविनाश चंद्रा और एडीजी पद्मजा चौहान समेत अन्य लोग मौजूद रहे।