घरों में दिलायी गयी फाका शिकनी की नज्र

LUCKNOW: कोरोना संक्रमण के चलते राजधानी में शुक्रवार को यौम-ए-आशूर के मौके पर आशूर का जुलूस नहीं निकला गया। हजरत इमाम हुसैन अ.स। सहित उनके 71 साथियों की शहादत के गम में पूरी रात इबादतों का सिलसिला जारी रहा। दस मोहर्रम को सुबह नमाज अदा की गई। वहीं सूरज निकलने के बाद खुले आसमान के नीचे खाक पर या घरों की छतों पर अजादारों ने आशूर का आमाल किया। वहीं महिलाओं ने घरों में आमाल-ए-आशूरा कर शहीदों को आंसुओं का पुरसा पेश किया।

घरों में दिलायी नज्र

भूखे-प्यासे शहीदों के गम में अजादारों ने सुबह से खाना-पानी छोड़ दिया। अजादारों ने शाम को खड़ी मसूर की दाल व चावल का नज्र दिलाकर फाका शिकनी की। इसके बाद अजादारों ने नज्र चख फाका तोड़ा।

बाक्स

पेश किया खून का पुरसा

गुरुवार रात से शुरू हुआ कमा-जंजीर का मातम शुक्रवार दिन तक जारी रहा। आशूर के दिन बेकरार अजादारों ने इमामबाड़ों, रौजों और कर्बलाओं में जबरदस्त कमा-जंजीर का मातम कर शहजादी को अपने खून का पुरसा पेश किया।