-हैवतमऊ मवैया की झील के चार बीघा को पाटा जा रहा

-जहां कहीं पहले पानी दिखता था, वहां अब दिख रही मिट्टी की चादर

LUCKNOW: इसे अफसरों की मनमानी कहेंगे या फिर विकास के बजट से खुद का विकास करने की सोच। नगर निगम के अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर सरकारी फरमान को दरकिनार कर एक झील को आखिरकार पाट ही दिया। ऐसे में जहां कहीं पहले पानी दिखता था, वहां अब मिट्टी की चादर दिख रही है।

पार्षद ने नहीं उठाई आवाज

सोमवार को ठेकेदार की लापरवाही से झील में गई एक गाय की करंट से मौत के बाद झील को पाटे जाने का मामला फिर सामने आ गया। कोरोना संक्रमण और लाकडाउन के चलते हर किसी की निगाह पाटी जा रही झील पर नहीं पड़ पा रही थी। यह हाल तब है जब नगर निगम सदन से लेकर हर किसी ने एक-एक बूंद पानी बचाने का संकल्प लिया था, लेकिन पार्षद भी झील को पाटे जाने के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाए।

आदेश के उलट किया काम

यह झील रायबरेली रोड पर हैवतमऊ मवैया पर है और इसके करीब तीन से चार बीघा भाग को पाटकर वहां पिकनिक स्पाट बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत तालाबों को संवारा जाना है। इसमें तालाबों और झील की तलहटी से सफाई की जानी है, जिससे बारिश का पानी भूजल तक पहुंच जाए, लेकिन नगर निगम ने आदेश का पालन इसके उलट किया। नगर निगम झील के ऊपर पार्किंग, पाथ-वे और झूले लगाने जा रहा है। रायबरेली रोड से ही यह झील करीब दो किलोमीटर लंबी है। खसरा नंबर 1542 में झील में दर्ज इसका क्षेत्रफल करीब 14 बीघा है। करीब सात करोड़ का बजट मिला तो नगर निगम के अभियंता उसे खपाने के लिए झील का क्षेत्रफल कम करने जा रहे हैं।

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कोर्ट ने यह दिया था आदेश

-वर्ष 2001 में उच्चतम न्यायालय ने हिचलाल तिवारी बनाम कमला देवी मामले में तालाब, झील व सभी प्राकृतिक जल स्त्रोतों को मूल स्वरूप में लाने को कहा था।

-उच्चतम न्यायालय के आदेश का ठीक से पालन न होने पर वर्ष 2006 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अफसरों को फटकार लगाते हुए तालाबों को कब्जे से मुक्त कराने को कहा था।

-आठ जनवरी, 2007 में उच्च न्यायालय ने चिनहट की ऐतिहासिक कठौता झील पर हुए अवैध निर्माण तोड़ने और राजधानी के तालाबों को कब्जा मुक्त करने को कहा था।

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बॉक्स

पंप लगा झील से निकाला पानी

LUCKNOW(18 May): झील से पानी को निकालकर बाहर फेंका जा रहा है। नगर निगम के ठेकेदार ने पानी को निकालने के लिए अधिक क्षमता वाले पंप लगवा रखे हैं, जिसके तार में सोमवार को करंट आने से एक गाय की मौत हो गई थी।

तीन माह से चल रहा है खेल

हैवतमऊ मवैया के ननकू, दिनेश, अनिल, राजेश और ललित का कहना है कि तीन माह से नगर निगम के ठेकेदार मिट्टी से झील को पाट रहे हैं। हम लोगों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ठेकेदार ने गाय मालिक को मुआवजा भी दिया और खुद को बचाने के लिए अब डीजल पंप लगा दिया गया है। तालाब के कुछ हिस्से को भू-माफिया ने पाट कर बेच दिया। कई बार शिकायत भी हुई पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

यह बोले पार्षद

इब्राहिमपुर वार्ड के पार्षद रमेश काकू का जवाब ही कहता है कि उन्हें जल संरक्षण से कोई लगाव नहीं है। झील को पाटे जाने का विरोध करने के बजाय वह कहते हैं कि नगर निगम झील का सुंदरीकरण कर रहा है, जिसके चलते तालाब का पानी खाली कराया जा रहा है। अब पार्षद को कौन बताए कि झील को पानी चाहिए होता है और यहां तो पानी निकालकर उल्टी गंगा बहाई जा रही है।