लखनऊ (ब्यूरो)। नगर निगम की ओर से हाउस टैक्स वसूली को शत प्रतिशत पहुंचाने के लिए अब बोगस डिमांड पर फोकस किया गया है। इसके लिए सबसे पहले खंडहरों और टूटी इमारतों का सर्वे कराया जा रहा है। यह देखा जा रहा है कि नगर निगम की जो संपत्तियां खंडहर या टूटी इमारत के रूप में दर्ज हैैं, उनके स्थान पर वर्तमान में किस तरह का निर्माण हुआ है। सभी जोन से रिपोर्ट आने के बाद ऐसी संपत्तियों को चिन्हित करके उन्हें नए सिरे से हाउस टैक्स के दायरे में लाया जाएगा।

लंबे समय से समस्या

यह समस्या अभी की नहीं बल्कि लंबे समय से चली आ रही है। हाल में ही नगर निगम की ओर से इस दिशा पर ध्यान दिया गया है। बोगस डिमांड होने की वजह से नगर निगम को राजस्व संबंधी नुकसान उठाना पड़ता है। नगर निगम को पता ही नहीं है कि आखिर ऐसी कितनी संपत्तियां हैैं, जिनका मूल स्वरूप बदल चुका है। इसके लिए ही स्थलीय सत्यापन कराया जा रहा है। जिससे एक-एक संपत्ति की एक्चुअल कंडीशन सामने आ सके।

हर जोन में लिस्ट तैयार

मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के निर्देश पर सभी आठ जोन में ऐसी संपत्तियों की लिस्ट तैयार कराई जा रही है, जो निगम अभिलेख में खंडहर या पूरी तरह से टूटी हुए स्थल के रूप में दर्ज हैैं। जबकि यहां पर अब आवासीय या कॉमर्शियल निर्माण हो चुका है। ऐसे में नगर निगम अब ऐसी संपत्तियों को टैक्स के दायरे में लाकर बोगस डिमांड समाप्त करने की तैयारी कर रहा है।

नए आवास भी किए जा रहे चिन्हित

नगर निगम की ओर से सभी जोन में ऐसे नए मकानों को भी चिन्हित किया जा रहा है, जो हाल फिलहाल निर्मित हुए हैैं। निगम प्रशासन की तरफ से देखा जा रहा है कि कितने ऐसे नवनिर्मित मकान हैैं, जिनका अभी तक टैक्स असेसमेंट नहीं हुआ है। पहले तो नए मकानों को असेसमेंट के दायरे में लाया जाएगा, फिर टैक्स निर्धारित किया जाएगा।

सभी जोन में ऐसी संपत्तियों का सर्वे कराया जा रहा है, जिनकी बोगस डिमांड जेनरेट होती है। पहले तो यह देखा जाएगा कि ऐसी संपत्तियों के स्थान पर अब वहां पर किस तरह का निर्माण है। इसके आधार पर उन्हें टैक्स के दायरे में लाया जाएगा।

अंबी बिष्ट, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, नगर निगम