-सलाखों के पीछे अब तक खफा है आदमखोर टाइगर मुस्तफा

-आदमखोर टाइगर ने गुस्से में तोड़ दी लोहे की सलाखें

-पीलीभीत में छह सोते लोगों का शिकार कर चुका टाइगर

- शनिवार रात पीलीभीत के मुस्तफाबाद से लाया गया लखनऊ

LUCKNOW: लखनऊ जू में सलाखों के पीछे पहुंच चुका टाइगर 'मुस्तफा' बेहद गुस्से में है। गुस्से का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बेहोशी की दवा के असर के चलते वह अपने पैरों पर ठीक से भले हो खड़ा न हो पा रहा हो, लेकिन पिंजरे की सलाखों को अपने मजबूत दांतों से काट डाला। आदमखोर टाइगर मुस्तफा की आक्रामकता से वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट भी अचंभे में हैं। एक्सप‌र्ट्स कहते हैं कि इस आदमखोर व्यवहार सबसे अलग है। बता दें कि शनिवार की देर रात पीलीभीत के मुस्तफाबाद से चिडि़याघर लाए गए टाइगर को देखने के लिए वन विभागों के अधिकारियों की भी भीड़ लग गई। सचिव वन सुनील पाण्डेय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष रूपक डे, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य जीव उमेंद्र शर्मा भी देखने पहुंचे।

सिर्फ सोते लोगों का शिकार

टाइगर मुस्तफा की कहानी रोंगटे खड़ी कर देने वाली है। मुस्तफा पिछले दो महीनों में छह इंसानों को निवाला बना चुका था। पीलीभीत के मुस्तफाबाद से सटे गांवों में हमेशा सोते इंसानों को ही शिकार बनाया। रेस्क्यू टीम के अधिकारियों ने बताया कि मुस्तफा रात में घरों से सोते हुए लोगों को उठा ले जाता था। मंगलवार को उसने जिस जगह अपना अंतिम शिकार किया, वहां से वाइल्ड लाइफ टीम एक्सपर्ट ने पग मा‌र्क्स का पीछा किया। उसके बाद टीम ने टाइगर की झलक देखने के बाद निश्चित दायरे में चारों ओर जाल लगाए गए। चार हाथी बुलाए गए और टीम तैयार की गई। एक टीम की अगुवाई कर रहे वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ। उत्कर्ष शुक्ला खुद हाथी पर सवार हुए, उनके हाथ में टै्रंक्यूलाइजिंग गन थी। टाइगर को देखने के बाद वह उसे ट्रैंक्यूलाइज करने के लिए पोजीशन संभाल ही रहे थे कि टाइगर ने हमला बोल दिया। हाथी पर सवार होने के कारण वह डॉ। उत्कर्ष शुक्ला तक तो नहीं पहुंच सका लेकिन हाथी को घायल कर दिया। तुरंत मौके पर एक अन्य हाथी लाया गया और इस बार गन से टाइगर को डॉट किया। निशाना सीधे टाइगर के पिछले हिस्से पर लगा। आठ मिनट बाद टाइगर बेहोश हो गया, और उसके बाद पिंजरें में बंद कर चिडि़याघर लाया गया। दो घंटे बाद ही मुस्तफा की बेहाशी तो खत्म हो गई लेकिन वह ढंग से खड़ा नहीं हो पा रहा था। इसके बावजूद कैद से निकल भागने के लिए टाइगर ने पिंजरे की लोहे की सलाखों के एक हिस्से को तोड़ दिया। चिडि़याघर में उसे एक मजबूत पिंजरे में रखा गया जहां पर उसे खाना-पानी दिया गया। लेकिन अब तक मुस्तफा ने कुछ नहीं खाया है।

रेस्क्यूगन और डॅाट

जंगली जानवरों को पकड़ने के लिए रेस्क्यूगन का प्रयोग किया जाता है। इस गन में गोली की जगह डॉट लगाया जाता है। इस डॉट में गोली की जगह इंजेक्शन भरा होता है। जानवर के डॉट लगते ही इंजेक्शन में मौजूद लिक्विड उसकी बॉडी में पहुंच जाता है। एक टाइगर को बेहोश करने के लिए पांच से दस एमएल दवा भरी जाती है।

वन्य जीव चिकित्सक डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने अब तक 50 से अधिक जानवरों को रेस्कयू किया है। इसमें टाइगर, पैंथर, भालू और चिम्पांजी शामिल हैं। अनुभवी होने के कारण उत्कर्ष शुक्ला ने रेस्क्यू ऑपरेशन को चार दिन में पूरा कर दिया।

रेस्क्यू कर लाया गया टाइगर मुस्तफा पूरी तरह स्वस्थ्य है। फिलहाल उसे हॉस्पिटल में रखा गया है। उसकी जांच की जा रही है। फिलहाल वह पूरी तरह स्वस्थ्य दिखाई दे रहा है।

डॉ। उत्कर्ष शुक्ला

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट

वन्यजीव चिक्तिसक और डिप्टी डायरेक्टर, चिडि़याघर