- 109 केंद्रों पर हुआ एग्जाम

- 50849 छात्रों को होना था शमिल

- 16837 छात्र पेपर में हुए शामिल

- लॉकडाउन के कारण भटकते रहे छात्र और अभिभावक

- पैदल ही सफर करने को मजबूर हुए छात्र

LUCKNOW: संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित एनडीए की परीक्षा संडे को 109 केंद्रों पर हुई। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते अधिकांश छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए। परीक्षा में कुल 50849 छात्रों को परीक्षा में शामिल होना था, लेकिन 16837 छात्र ही परीक्षा में शामिल हुए। कुल अभ्यर्थी की तुलना में 33 फीसद अभ्यर्थी ही परीक्षा में बैठे। वहीं लॉकडाउन के कारण बंद साधन की वजह से अभ्यर्थी काफी परेशान रहे। दुकानें बंद होने की वजह से चिलचिलाती गर्मी में छात्रों को पानी की बोतल और चाय के लिए भी तरसना पड़ा।

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नहीं हुआ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

प्रशासन की ओर से दावा किया गया था कि एनडीए की परीक्षा पूरी तरह कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कराई जाएगी। परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने से पहले परीक्षार्थियों की थर्मल स्कैनिंग, मास्क और हैंड सेनेटाइजर के साथ ही सोशल डिस्टेंस का पूरा ध्यान रखा जाएगा, लेकिन एग्जाम सेंटर पर देखा गया कि लाइन बनाकर परीक्षार्थियों को अंदर जाने दिया जा रहा था, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा था। इसको लेकर पैरेंट्स ने शिकायत भी की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। एनडीए की परीक्षा 109 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे और इतने ही पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए थे जबकि सामग्री पहुंचाने और प्रशासनिक गतिविधियों के लिए कुल 37 मजिस्ट्रेट बनाए गए थे।

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दो पॉली में था एग्जाम

एनडीए की परीक्षा दो पॉली में हुई। प्रथम पाली की शुरुआत सुबह 10 बजे से 12:30 बजे तक हुई जबकि दूसरी पॉली 2 बजे से शाम 4:30 बजे तक संपन्न हुई। इंटरवल के दौरान लगभग डेढ़ घंटे छात्र परीक्षा केंद्र के आसपास चाय पानी बिस्किट आदि की दुकानों की तलाश करते रहे, लेकिन उनको निराश होना पड़ा।

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पानी के लिए व्याकुल दिखे छात्र

कई परीक्षा केंद्रों में पीने के पानी को लेकर भी उचित इंतजाम नहीं किया गया था। छात्र और उनके अभिभावक इस बात को लेकर सतर्क थे कि किसी प्रकार का संक्रमण न फैलने पाए। कुछ छात्र तो अपने साथ पानी की बोतल लेकर आए थे जबकि अनेक छात्र ना तो विद्यालय में पानी पी सकते थे ना ही बाहर से कुछ खरीद कर ला सकते थे।

कोट

1. बहुत मुश्किल से हम परीक्षा केंद्र पहुंचे हैं। लॉकडाउन होने के कारण आने जाने के लिए कोई भी साधन नहीं मिल रहा था। बहुत परेशानी झेलना पड़ी। किसी तरह एग्जाम सेंटर पहुंचकर परीक्षा में शामिल हो पाए हैं।

सजल तिवारी, स्टूडेंट

2. मैं महाराजगंज से आया हूं। कोविड के कारण बहुत डर लग रहा था, लेकिन जब सरकार ने इस परीक्षा को रद्द नहीं किया तो हमें आना ही पड़ा। हम लोगों ने दिन रात किसके लिए तैयारी किया था तो एग्जाम कैसे छोड़ सकते थे। यहां आने के बाद बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि होटल में रुकने में डर लगता है। साथ ही आने जाने का कोई साधन नहीं है, पीने के लिए पानी तक बाजार में खरीदना चाहे तो नहीं मिल पा रहा है।

अनूप यादव, स्टूडेंट

3. मैं सुबह ही कानपुर से आया हूं। कानपुर से आने में भी सरकारी बस में बहुत डर लग रहा था। ऐसा लग रहा था कि मेरे आस पास पता नहीं कौन कोरोना का पेशेंट हो। यहां पर पहुंचने के बाद बस अड्डे से एग्जाम सेंटर तक जाने के लिए कोई भी साधन नहीं था। चारों तरफ सन्नाटा था। बड़ी मुश्किल से एक बाइक वाले से लिफ्ट मांग कर और अपना एडमिट कार्ड दिखाकर मैं एग्जामिनेशन सेंटर पहुंचा हूं।

प्रशांत सिंह, स्टूडेंट

4. मैं गोरखपुर से आया हूं। एनडीए की परीक्षा के लिए मैंने कोचिंग की थी और काफी मेहनत की थी। एग्जाम बढि़या हो गया, लेकिन अब मन में डर बना हुआ है कि गोरखपुर से यहां तक आने और जाने में कई लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग नहीं हो पाई तो कहीं मुझे कोई प्रॉब्लम ना हो जाए। संडे का दिन और लॉकडाउन होने के कारण सड़कों पर एकदम सन्नाटा था। कोई भी दुकान नहीं खुली थी, जिससे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा।

अमन पांडे, स्टूडेंट