- दर्जनों दुकानों और मार्केट में नहीं पूरे हैं फायर के मानक

- नोटिस के बाद भी जिम्मेदार विभागों ने नहीं की कोई कार्रवाई

LUCKNOW: सरकारी विभागों की लापरवाही के चलते लाखों लोगों की जान संग अरबों रुपये के कारोबार पर खतरा मंडरा रहा है। हैरानी की बात यह है कि विकराल हादसे होने के बाद भी जिम्मेदार विभाग सुस्त रवैया अपनाए हुए हैं। हादसा होने पर एक्शन के बड़े-बड़े दावे तो किये जाते हैं, लेकिन समय बीतते ही सब हवा-हवाई हो जाता है।

हादसों से भी नहीं ले रहे सबक

चौक, अमीनाबाद, यहियागंज, नक्खास, गुरुनानक मार्केट, नाजा, प्रिंस मार्केट और चारबाग एरिया में बनी पक्की, कच्ची करीब 16 हजार से अधिक दुकानें फायर के मानकों की अनदेखी कर चल रही हैं। कारोबारियों के अनुसार बाजारों में जर्जर तार बदले नहीं जा रहे हैं। इसे देखते हुए फायर बिग्रेड के अधिकारी भी रिपोर्ट में खतरे की बात मान चुके हैं। इन बाजारों में रोज करीब 50 करोड़ का कारोबार होने के साथ 4 से 5 लाख लोगों का आना जाना होता है। इसी एरिया में तीन साल पहले मुमताज मार्केट में लगी आग से न केवल करोड़ों का नुकसान हुआ था बल्कि जनहानि भी हुई थी। इसके बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं।

फायर हाइड्रेंट भी गायब

अमीनाबाद में आग से निपटने के लिए वर्ष 2005 में फायर हाइड्रेंट बनाया गया था ताकि किसी प्रकार का हादसा होने पर यहां से पानी लिया जा सके। वहीं वर्तमान में फायर हाइड्रेंट लापता हैं। मार्केट की ज्यादातर गलियां इतनी सकरी हैं कि वहां फायर ब्रिगेड की गाड़ी तक नहीं पहुंच सकती है। अमीनाबाद की मुमताज मार्केट में 14 मार्च 2016 को आग लगने के बाद खुलासा हुआ था कि बिल्डिंग मानकों की अनदेखी कर बनवाई गई है।

तो जांच डाल देते हैं ठंडे बस्ते में

आग की घटना होने पर अधिकारी जांच और कार्रवाई का दावा करते हैं, लेकिन कुछ समय बाद फाइन के बाद जांच ठंडे बस्ते में चली जाती है। शहर में मानकों को दरकिनार कर बने कोचिंग सेंटर, अस्पतालों से लेकर बाजारों की फायर और अन्य विभागों ने कई बार रिपोर्ट तैयार की, लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई।

वर्कशॉप कर तैयार की गई थी रिपोर्ट

एक हादसे के बाद लखनऊ में कोचिंग संचालक, स्टेशन फायर अफसर, होटल मालिक, व्यापारी संगठनों और अस्पताल संचालकों के लिए साथ वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया। इसके बाद चीफ फायर अफसर विजय कुमार सिंह ने अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपी थी। मामले में एडीजी ने 15 दिन में ऐसी सभी इमारतों को सील करने का आदेश दिया था, जिनके पास फायर की एनओसी नहीं है। इसके बाद एलडीए ने जोनवार एक्सईएन को बिना फायर एनओसी वाली इमारतों की सूची तैयार करने के निर्देश दिये। हालांकि एडीजी ने दोबारा ना तो रिपोर्ट मांगी और ना ही एलडीए ने तैयार की। ऐसे में इमारतों को सील नहीं किया जा सका।

कहां कितनी दुकानें

अमीनाबाद 9000

नाजा - 500

नक्खास - 1200

चौक - 1000

यहियागंज - 1500

पांडेयगंज 500

नाका व चारबाग - 3000

गुरुनानक मार्केट - 700

यह हैं एनओसी के मानक

- 3 साल के लिए दी जाती है कामर्शियल बिल्डिंग को एनओसी

- 5 साल के लिए दी जाती है रेजीडेंशियल बिल्डिंग को एनओसी

यह है एनबीसी का मानक

किसी भी बिल्डिंग की एनओसी का मानक 9 पार्ट में होता है। कॉमर्शियल बिल्डिंग का क्राइटेरिया अलग अलग है। ज्यादातर कोचिंग सेंटर कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स और बिल्डिंग में चल रहे हैं। इसमें असेंबली बिल्डिंग, ग्लास बिल्डिंग, ओपन बिल्डिंग समेत अन्य मानक हैं। 5 सौ वर्ग मीटर क्षेत्र वाली बिल्डिंग में 2 से 3 सीढि़यां होना जरूरी है जबकि ग्लास वाली बिल्डिंग में फुटफॉल एक हजार से ज्यादा है तो फायर डिटेक्टर और रूफ टैंक होना अनिवार्य है।

हादसा होने पर जागते हैं

सीएफओ के अनुसार 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2020 में लॉकडाउन के चलते हादसे कम हुए, लेकिन 1 से 31 दिसंबर 2019 तक राजधानी में 1024 आग लगने की घटनाएं हुई हैं। वहीं 1 जनवरी 2018 से अब तक आग लगने के 1031 मामले सामने आए हैं। फायर डिपार्टमेंट कामर्शियल बिल्डिंग को 3 और रेजीडेंशियल बिल्डिंग को 5 साल की एनओसी देता है। फायर डिपार्टमेंट को हर साल इन बिल्डिंग की जांच भी करनी होती है, लेकिन न जांच होती है और ना ही एनओसी खत्म होने के बाद नोटिस जारी की जाती है।

300 बिल्डिंग को नोटिस

शहर में कई बिल्डिंग बिना फायर एनओसी के ही खड़ी हो गई हैं। इसके लिए अन्य डिपार्टमेंट को सूचित भी किया है। बिल्डिंग ऑनर दूसरे डिपार्टमेंट से एनओसी लेकर बिल्डिंग बना लेते हैं, लेकिन फायर एनओसी नहीं लेते। फायर व जिला प्रशासन की तरफ से संबंधित डिपार्टमेंट को लेटर लिखा गया है कि वह पहले फायर एनओसी देखें, इसके बाद ही अन्य एनओसी जारी करें।

यह विभाग हैं जिम्मेदार

बिजली विभाग-

कोचिंग कॉम्प्लेक्स में बिजली के तारों का जंजाल चारों तरफ फैला है। शहर की कई ऐसी बिल्डिंग हैं जहां बिजली के तारों का संजाल फैला होता है। बिजली विभाग की जिम्मेदारी है, लेकिन विभाग कभी निरीक्षण करने नहीं पहुंचता।

नगर निगम व एलडीए-

किसी भी बिल्डिंग में निर्माण कार्य व लाइसेंस चेक करना नगर निगम व एलडीए की जिम्मेदारी होती है। समय समय पर वह चेकिंग करें तो बिल्डिंग के हालत का खुलासा हो सकता है।

जिला प्रशासन-

जिला प्रशासन की ओवर ऑल जिम्मेदारी है। कोई भी बिल्डिंग रहने लायक है या कामर्शियल बिल्डिंग में मानकों को पूरा गया है या नहीं।

फायर डिपार्टमेंट

कामर्शियल-रेजीडेंशियल बिल्डिंग के सुरक्षा मानकों व फायर की जिम्मेदारी फायर डिपार्टमेंट की है। हालांकि फायर डिपार्टमेंट ने करीब तीन सौ ऐसी बिल्डिंग संचालकों को नोटिस भेजा है।

हादसों पर एक नजर

महानगर

कपूरथला सदफ सेंटर में चार मंजिला इमारत है। कोचिंग सेंटर में आग से करीब 70 स्टूडेंट्स फंस गये थे। चार मंजिला कोचिंग सेंटर के पड़ोस की छत पर कूद कर स्टूडेंट्स ने अपनी जान बचाई थी।

हजरतगंज

नवल किशोर रोड स्थित एक कोचिंग कॉम्प्लेक्स में शार्ट सर्किट से आग लग गई थी। कॉम्प्लेक्स में 8 बड़े कोचिंग सेंटर हैं। आग में कई स्टूडेंट्स फंस गए थे और उन्हें नीचे मंजिल स्थित दुकानदारों ने सुरक्षित निकाला। कई बच्चे धुआं के चलते बेहोश भी हो गए थे।

सरोजनी नगर

ट्रांसपोर्ट नगर में एक गोदाम में आग लग गई थी। गोदाम के बेसमेंट में एक मजदूर का परिवार रहता था। आग के धुएं से उसके दो बच्चे की मौत हो गई थी जबकि फायर ब्रिगेड ने बेसमेंट की छत काट कर आग पर काबू किया। गोदाम में टेंट का सामान रखा था। यहां फायर फाइटिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी।

तालकटोरा

ऐशबाग की प्लाईवुड फैक्ट्री में भीषण आग लग गई थी। फैक्ट्री में मौजूद तीन कर्मचारी आग में झुलसे, बाकी ने दीवार फांद कर बचाई जान। आस-पास अपार्टमेंट के फ्लैट और अस्पताल में धुआं फैलने से लोगों की सांस फूलने लगी थी, जिससे लोगों ने फ्लैट खाली कर दिये। फायर ब्रिगेड की 9 गाडि़यों ने 5 लोकेशन से पानी डाल कंट्रोल की आग

इन मानकों को पूरा करना चाहिए

- सैट बैक (मोटरेबल)

- सैट बैक (भवन की ऊंचाई के हिसाब से वर्किंग स्पेस)

- फायर एग्जिट

- पलायन मार्ग की स्पष्टता

- पलायन मार्ग की डिस्टेंस

- वैकल्पिक रास्ता और जीने की व्यवस्था

- कम्पार्टमेंटेशन

- आकस्मिक स्थिति में लाइट की व्यवस्था

- बेसमेंट में रैंप की व्यवस्था

- बिल्डिंग में जरूरत के हिसाब से रिफ्यूज एरिया की व्यवस्था

- मेन रोड से प्रस्तावित बिल्डिंग के लिए पांच मीटर से कम चौड़ा रास्ता नहीं होना चाहिए

ये व्यवस्था बिल्डिंग में होनी चाहिए

- फायर एक्सटिंग्यूशर

- होजरील प्रणाली

- डाउन कमर सिस्टम

- यार्ड हाईडेंट सिस्टम

- आटोमैटिक स्प्रिंकलर्स सिस्टम

- आटोमैटिक डिटेक्शन एवं अलार्म सिस्टम

- मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट फायर अलार्म सिस्टम

- अंडर ग्राउंड वाटर टैंक

- ओवरहेड वाटर टैंक

- एमसीबी व ईएलसीबी

- पब्लिक एड्रेस सिस्टम