लखनऊ (ब्यूरो)। एक्सपो में न्यू इंडिया की एक झलक सामने आने के बाद हर कोई हैरानी भरा नजर आया। अभी शायद कोई यह सोच भी नहीं सकता है कि सात घंटे में कोई मकान बन सकता है या दो शहरों की दूरी को 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तय किया जा सकता है लेकिन ऐसा होगा जरूर, बस थोड़े इंतजार के बाद।

साफ पानी और वेस्ट मुक्त शहर
स्वच्छ भारत मिशन और अमृत योजना के तहत लगाए गए मॉडल्स से साफ था कि एक तरफ तो अंडरग्राउंड वाटर लेवल को मेनटेन करने की कवायद शुरू कर दी गई है, वहीं दूसरी तरफ सॉलिड वेस्ट के निस्तारण की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैैं। भले ही उक्त प्रोजेक्ट अभी देश के सभी शहरों में न शुरू हुए हों, लेकिन इतना साफ है कि अगर अन्य शहर इन्हें अपनाते है तो नतीजे बेहतर हो सकते हैैं।

न्यू अर्बन इंडिया की झलक

1-अयोध्या ग्रीन फील्ड टाउनशिप का खाका तैयार
आईजीपी में दो जगह लगी एक्सपो का मुख्य आकर्षण अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का मॉडल और ग्रीन फील्ड टाउनशिप रही। इस टाउनशिप को 1200 एकड़ में डेवलप किया जाएगा। खास बात यह है कि पूरी टाउनशिप ईको फ्रेंडली रहेगी।
ये होगा खास
1-वैदिक नगर सिद्धांत के आधार पर परिकल्पना
2-पर्यावरण अनुकूल
3-अंतरराष्ट्रीय भवन
4-राज्य भवन
5-मठ, आश्रम एवं अखाड़ों के लिए भवन
6-विभिन्न स्तरों के होटल एवं रेस्ट हाउस
7-मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से लगभग 2.5 किमी दूर
8-अयोध्या रेलवे स्टेशन से दूरी तीन किमी
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2-अगले साल दौड़ेगी पहली रीजनल ट्रेन
अभी तक आपने जहां शहर के अंदर मेट्रो के सफर का आनंद उठाया होगा, वहीं अब आप दो शहरों के बीच भी मेट्रो में सफर कर सकेंगे। इसकी वजह यह है कि देश की पहली रीजनल रेल वर्ष 2023 में शुरू होने जा रही है। इसकी मिनिमम रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा रहेगी। जबकि इसकी डिजाइनिंग स्पीड 180 किमी प्रति घंटा रखी गई है।
17 किमी का रन होगा शुरू
पहले चरण में 17 किमी का रन शुरू किया जाएगा, जो साहिबाबाद से दुहाई के बीच होगा। इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ की कनेक्टिविटी और भी सुगम हो जाएगी।
ये होगी खासियत
180 किमी प्रति घंटा डिजाइन स्पीड
160 किमी प्रति घंटा रन स्पीड
100 किमी प्रति घंटा औसत स्पीड
1 घंटे में 100 किमी का सफर तय
5-10 मिनट में एक स्टेशन

बॉयो माइनिंग प्रोजेक्ट से समाप्त हो सकता घैला का संकट
राजधानी के घैला में भारी मात्रा में वेस्ट के ढेर लगे हुए हैैं। वेस्ट के निस्तारण के लिए कई बार प्रयास किए गए लेकिन नतीजा सिफर रहा। कुछ ऐसी ही तस्वीर आगरा में भी थी। वहां पर वर्ष 2019 में बॉयो माइनिंग प्रोजेक्ट लाया गया। जिसकी वजह से धीरे-धीरे कूड़े का अंबार अब समाप्त हो चुका है।
ये है बॉयो माइनिंग प्रोजेक्ट
आगरा में करीब 42 एकड़ में वेस्ट का खासा ढेर जमा था। इसे समाप्त करने के लिए बॉयो माइनिंग प्रोजेक्ट लाया गया। जिसके अंतर्गत सबसे पहले नियमित रूप से आने वाले वेस्ट के लिए जगह बनाई गई। इसके साथ ही पहले से लगे वेस्ट के ढेरों के निस्तारण के लिए प्लांट लगाए गए। अब स्थिति यह है कि 32 एकड़ जमीन को वेस्ट से रिकवर किया जा चुका है और वहां पर खाद बनाने का काम किया जा रहा है। अगर इस तकनीकी को लखनऊ में अपना लिया जाए तो यहां भी घैला में लंबे समय से लगे वेस्ट के ढेरों को समाप्त करने में सफलता हासिल की जा सकती है। हालांकि इस प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले कई बिंदुओं पर सर्वे भी कराना होगा।

ऐसी टाइल्स, जो न टूटेंगी न ही जलेंगी
एक निजी कंपनी की ओर से हाईटेक टाइल्स संबंधी मॉडल भी लगाया गया है। इन टाइल्स की खास बात यह है कि ये न तो टूटेंगी और न ही इनमें आग लगेगी। खास बात यह भी है कि इन्हें चिपकाया जा सकेगा और जरूरत पडऩे पर निकाला भी और वो भी बिना किसी क्षति के। अभी इनका यूज इंडिया में शुरू नहीं हुआ है।
मिट्टïी-बांस के रेशों का इस्तेमाल
इन टाइल्स की खास बात यह भी है कि इनके निर्माण में मिट्टïी और बांस के रेशों का इस्तेमाल किया गया है। जिससे ये लंबे समय तक सुरक्षित रह सकती हैैं। वहीं अगर बाहर का तापमान 40 डिग्री भी है तो आपके घर के अंदर सामान्य तापमान ही रहेगा, मतलब गर्मी से भी मुक्ति। इसी तरह थर्माकोल और सीमेंट से निर्मित ईपीएस पैनल भी खासे कमाल के हैैं। इनका प्रयोग पिलर तैयार होने के बाद किया जाता है। पिलर खड़े होने के बाद इन्हें सीधे यूज में लाया जा सकता है। इनका यूज इंदौर में शुरू किया जा चुका है।

ऐसे मकान, जो बाढ़-तूफान से रहेंगे सेफ
हर किसी के मन में चिंता रहती है कि उनके मकान बाढ़, तूफान या भूकंप आने पर सेफ रहेंगे या नहीं तो उनके लिए बैैंबूवुड से निर्मित मकान एक बेहतर विकल्प हो सकते हैैं। खास बात यह है कि ये मकान ईको फ्रेंडली होने के साथ ही खासे मजबूत होते हैैं। पश्चिम बंगाल में ऐसे मकान आपको आसानी से देखने को मिल जाएंगे।
ये है कीमत
आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि इनकी कीमत भी बहुत अधिक नहीं है। अगर आप सिर्फ ग्राउंड फ्लोर बेस्ड बैैंबू वुड मकान बनवाते हैैं तो 1800 रुपये प्रति स्क्वॉयर फिट के हिसाब से आपको खर्च करना पड़ेगा। इसके बाद आप जितने फ्लोर बनवाएंगे, रेट उसी आधार पर बढ़ते जाएंगे।

6-सात घंटे में बनेगा मकान
आंध्र प्रदेश की बात की जाए तो वहां पर कंक्रीट बेस्ड हाउस की खासी डिमांड है। आईजीपी में लगे इस हाउस मॉडल को देखकर खुद कहा जा सकता है कि ये बेहद मजबूत मकान हैैं। खास बात यह है कि इनको बनवाने में सिर्फ 1.80 लाख रुपये ही खर्च आता है।

ये होगी खासियत
अन्य मकानों की तरह इसमें भी लिविंग रूम, बेड रूम, किचन और टॉयलेट की सुविधा मिलती है साथ ही इसकी फ्लोरिंग, वॉल्स और छत कंक्रीट से बनाई जाती है। जिससे इस मकान की मजबूती इतनी बढ़ जाती है कि बम से भी इसे नहीं गिराया जा सकता है।
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7- ट्रेन के आगे नहीं कर पाएगा आत्महत्या
प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर मॉडल भी खासा आकर्षण का केंद्र रहा। इसकी वजह यह है कि इस मॉडल को अपनाने के बाद कोई भी व्यक्ति स्टेशन पर ट्रेन के आगे कूदकर जान नहीं दे सकेगा।
दिल्ली मेट्रो में प्रोजेक्ट शुरू
इस प्रोजेक्ट को दिल्ली मेट्रो में एडॉप्ट किया गया है। इसकी खासियत यह है कि प्लेटफॉर्म पर स्क्रीन डोर को लगाया जाता है। जब तक प्लेटफॉर्म पर आकर ट्रेन नहीं रुक जाएगी, तब तक इसके दरवाजे नहीं खुलेंगे और जैसे ही ट्रेन रुकेगी, इसके दरवाजे तुरंत खुल जाएंगे। ट्रेन के जाते ही दरवाजे अपने आप बंद हो जाएंगे।
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8-40 प्रतिशत सस्ते मेट्रो स्टेशन
मेट्रोलाइट स्टेशन भी खासे आकर्षण का केंद्र रहे। इसकी खासियत यह है कि सामान्य मेट्रो स्टेशंस की तुलना में इनके निर्माण में 40 प्रतिशत कम खर्च आता है। इसके साथ ही इसका निर्माण भी बेहद कम समय में हो जाता है। ये कांसेप्ट मेट्रो ट्रेन और बस दोनों में एडॉप्ट किया जा सकता है। इस तरह के स्टेशंस में स्पेस भी अधिक रहता है।
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9-स्मार्ट पोल से हर किसी पर नजर
नागपुर, रायपुर समेत कई स्मार्ट शहरों में स्मार्ट पोल का कांसेप्ट आया है। इस पोल में एक साथ लाइट, कैमरा, वाई फाई और हेल्प बेटन की सुविधा मिल सकती है। खास बात यह है कि अपनी जरूरत के हिसाब से उक्त सुविधाओं को घटाया और बढ़ाया भी जा सकता है। इस प्रोजेक्ट के लखनऊ में भी आने की संभावना है।
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10-बॉयो सीएनजी प्लांट
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बॉयो सीएनजी प्लांट का भी मॉडल लगाया गया था। यह मॉडल लखनऊ समेत कई शहरों में अपनाया भी जा रहा है। इसके अंतर्गत वेस्ट से सीएनजी को जेनरेट किया जा सकता है। मतलब फ्यूल संबंधी संकट समाप्त हो सकता है।
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ये मॉडल भी रहे खास
1-लाइट हाउस प्रोजेक्ट, लखनऊ
2-नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट
3-एलडीए के पीएम आवास
4-बनारसी सिल्क साड़ी
5-लखनऊ और कानपुर मेट्रो
6-वॉटर ट्रीटमेंट प्रोसेस मॉडल