बिजली कर्मचारियों को बिल में रियायत खत्म होने के बाद भी लागू नहीं

मई में नियामक आयोग कर सकता है पावर कारपोरेशन के खिलाफ कार्रवाई

LUCKNOW: उप्र विद्युत नियामक आयोग के फैसलों को पावर कारपोरेशन के अधिकारी दरकिनार करने में जुटे है। नतीजतन जनता के पैसों से सूबे के एक लाख से ज्यादा बिजलीकर्मियों के घर रोशन हो रहे हैं। पावर कारपोरेशन के अधिकारियों की शह पर रियायती दरों में ज्यादा बिजली की खपत लगातार जारी है। मई में होने वाली नियामक आयोग की बैठक में अब इस बाबत कोई कठोर निर्णय लिया जा सकता है।

जनवरी में खत्म हो गया था स्लैब

बिजलीकर्मियों को रियायती दरों पर बिजली मुहैया कराई जाती रही है। विभिन्न श्रेणियों में उन्हें मामूली बिल ही चुकाना पड़ता है। नियामक आयोग ने इसे गंभीर समस्या मानते हुए जनवरी में बिजलीकर्मियों के लिए तय किए गये एलएमबी-10 स्लैब को पूरी तरह खत्म कर दिया था। इसका आदेश भी पावर कारपोरेशन भेजा गया था जो ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। आयोग ने अपने आदेश में एलएमबी-10 स्लैब को समाप्त कर बिजलीकर्मियों के बिल भी घरेलू उपभोक्ताओं की तरह एमएलबी-1 स्लैब की तर्ज पर बनाने को कहा था। तीन माह बीतने को हैं लेकिन कारपोरेशन ने इस आदेश के अमल की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।

हो सकती है अवमानना

जानकारों की माने तो आयोग के आदेश का अनुपालन न करने पर कारपोरेशन के खिलाफ अवमानना का मामला हो सकता है। सूबे के करीब एक लाख बिजलीकर्मी अभी भी रियायती दरों पर बिजली इस्तेमाल कर रहे है। इससे कारपोरेशन को करीब सौ करोड़ रूपये साल का नुकसान होता है जिसकी भरपाई घरेलू उपभोक्ताओं के टैरिफ में वृद्धि करके की जाती है। अब सबकी नजरें मई में होने वाली आयोग की बैठक पर टिकी हैं जिसमें यह मामला उठेगा।