- बिजली दर मामले में नियामक आयोग का एतिहासिक फैसला

- उपभोक्ताओं की दरों में 10 से 12 प्रतिशत रेगुलेटरी सरचार्ज लगवाने का प्रस्ताव खारिज

- उपभोक्ता परिषद् की लड़ाई रंग लाई प्रदेश के उपभोक्ताओं की बड़ी जीत

LUCKNOW प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। बिजली दर मामले में नियामक आयोग ने दरों में कोई भी नई बढ़ोत्तरी नहीं की है। आयोग की ओर से दरों में कोई भी बढ़ोत्तरी न किए जाने से पुरानी दरें ही पूर्ववत जारी रहेंगी।

170 रु। प्रति हार्स पॉवर से वसूली

टैरिफ आदेश से यह स्पष्ट हुआ है कि ग्रामीण किसानों के ट्यूबवेल पर भले ही मीटर लग जाएं, लेकिन उनसे अनमीटर्ड 170 रु प्रति हार्स पावर की दर से ही वसूली की जाएगी, जिससे ग्रामीण किसानों को भी बड़ी राहत मिली है।

रेगुलेटरी असेट को खारिज कर दिया

प्रदेश की पांचों बिजली कंपनियों मध्यांचल, पूवरंचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल एवं केस्को द्वारा वर्ष 2021.22 के लिये दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्कता टैरिफ प्रस्ताव सहित स्लैब परिवर्तन व वर्ष 2019.20 के लिये दाखिल ट्रूअप पर गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य केके शर्मा एवं वीके श्रीवास्तव की पूर्ण पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुये यह आदेश जारी कर दिया है कि इस वर्ष बिजली दरों में कोई भी बदलाव नहीं किया जायेगा। वर्तमान लागू टैरिफ ही आगे लागू रहेगा। वहीं उपभोक्ता परिषद की मांग पर नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन व रेगुलेटरी असेट को अस्वीकार करते हुये खारिज कर दिया है। वहीं वर्ष 2021.22 व ट्रूअप 2019.20 के लिये बिजली कंपनियों द्वारा निकाली गई भारी भरकम धनराशि को समाप्त कर दिया गया है।

बिजली कंपनियों को झटका

नियामक आयोग की ओर से जारी आदेश के बाद बिजली कंपनियों को बड़ा झटका लगा है क्योंकि उनके वित्तीय मामलों पर आयोग ने कैंची चला दी है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात कर पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव को खारिज करने के लिये उपभोक्ताओं की तरफ से आयोग को बधाई दी है।

10 से 12 प्रतिशत रेगुलेटरी सरचार्ज

प्रदेश की बिजली कंपनियों द्वारा उपभोक्ता परिषद् के कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव को रोकने के लिए ऐन मौके पर 10 से 12 प्रतिशत रेगुलेटरी सरचार्ज लगवाने के लिए नियामक आयोग में रेगुलेटरी असेट के रूप में रुपया 49827 करोड़ दाखिल कर दिया गया था, जिस पर उपभोक्ता परिषद् ने अनेक विधिक सवाल उठाते हुए उसे खारिज करने की मांग उठाई थी। जिसे विद्युत नियामक आयोग द्वारा उचित मानते हुए बिजली कंपनियों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया, जो उपभोक्ताओं की बड़ी जीत है।

बिजली कंपनियों पर सरप्लस निकाला

उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद की लंबी लड़ाई काम आई। अंतत: विद्युत नियामक आयोग ने स्लैब परिवर्तन रेगुलेटरी सरचार्ज असेट के प्रस्ताव को खारिज कर यह सिद्ध कर दिया कि परिषद की मांग सही थी। पांचों बिजली कंपनियों द्वारा ट्रूअप में निकाले गये कुल 8892 करोड़ गैप पर बड़ी कटौती करते हुए उपभोक्ता परिषद् की दलीलों को मानते हुए नियमों विनियमों की परिधि में प्रदेश के उपभोक्ताओं का ही बिजली कंपनियों पर कुल लगभग 672 करोड़ रुपया सरप्लस निकाल दिया है।

कंपनियों पर 1059 करोड़ सरप्लस निकला

इसी प्रकार वर्ष 2021.22 के लिये दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता में बिजली कंपनियों ने कुल 9663 करोड़ का गैप दिखाया था, जिसको लेकर भी उपभोक्ता परिषद ने मुद्दा उठाया और उसमें भी बड़ी कटौती करते हुए आयोग ने प्रदेश के उपभोक्ताओं का ही बिजली कंपनियों पर कुल लगभग 387 करोड़ रुपया सरप्लस निकाल दिया है, मतलब सब मिलाकर बिजली कंपनियों पर इस बार भी कुल लगभग 1059 करोड़ सरप्लस निकला है। वहीं उपभोक्ताओ का बिजली कंपनियों पर पहले भी कुल लगभग 19537 करोड़ उदय व ट्रूअप में निकला था। अब सब मिलाकर देखा जाय तो उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर कुल लगभग रुपया 20596 करोड़ रुपया सरप्लस हो गया है।

रिव्यू याचिका दाखिल करेगा

उपभोक्ता परिषद का कहना है कि नई बिजली दर आदेश का उपभोक्ता परिषद अध्ययन करने के बाद विद्युत नियामक आयोग में बिजली दरों में कमी करने के लिये पुन: एक रिव्यू याचिका दाखिल कर इस कोरोना काल में ही उपभोक्ताओं को राहत देने के लिये अपनी मांग पुन: रखेगा और उप्र सरकार से भी यह अनुरोध करेगा कि सरकार उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिये आगे आए।