लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के सरकारी अस्पतालों में रोज शहर से ही नहीं आसपास के जिलों से भी हजारों की संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं लेकिन इसके बाद भी यहां पर्याप्त सुविधाओं की कमी है। केजीएमयू हो या सिविल या फिर बलरामपुर अस्पताल सभी जगह मरीजों के लिए जरूरी सुविधाओं की कमी है। कहीं खुद मरीज को स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ता है तो कहीं भीषण गर्मी में भी लोग धूप में बैठने को मजबूर हैं।

केजीएमयू

खड़े-खड़े करते रहें इंतजार

केजीएमयू में रोज 4 से 5 हजार मरीज दिखाने के लिए आते हंै। ऐसे में बड़ी संख्या में स्ट्रेचर, व्हील चेयर व बैठने की जगह की यहां जरूरत है। यहां ओपीडी में मरीजों के बैठने की जगह कम पड़ जाती है। मरीज खड़े-खड़े ओपीडी में अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं। वहीं, संस्थान में एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए 28 एंबुलेंस सुविधा भी फ्री है, जो ओपीडी, ट्रामा, लॉरी, डीपीआर शताब्दी आदि में तैनात रहती है। इसके बावजूद तीमारदार खुद ही मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाकर मुख्य संस्थान से लारी कार्डियोलॉजी या ट्रामा ले जाते हैं। ऐसे में सड़क पर दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है।

सिविल अस्पताल

वॉशरूम में जाने से बचते हैं लोग

राजधानी में सिविल अस्पताल को वीआईपी अस्पताल का दर्जा दिया गया है। इसके बाद भी यहां मरीजों के बैठने की पुख्ता व्यवस्था नहीं है। ओपीडी में दिखाना हो या फिर जांच करानी हो, हर जगह आपको खड़े-खड़े ही या फिर फर्श पर बैठकर ही लाइन में इंतजार करना होगा। वहीं यहां इमरजेंसी के बाहर वॉटर कूलर लगा है, जिससे यहां आसपास पानी भी भरा रहता है। वहीं वीआईपी अस्पताल होने के बाद भी यहां कई वार्डों में वॉशरूम इतनी खराब हालत में हैं, जिससे वहां कोई जाता ही नहीं है।

बलरामपुर अस्पताल

भर्ती होना है तो पंखा साथ लाएं

प्रदेश के सबसे बड़े जिला अस्पताल बलरामपुर में भी सुविधाओं की काफी कमी है। यहां मरीजों और तीमारदारों को गर्मी से बचाने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। सर्जरी और डायलिसिस वार्ड में कूलर केवल दिखावे के लिए लगे हैं। पंखे ऐसे हैं जो पर्याप्त हवा नहीं देते हैं। ऐसे में यहां आने वाले कई मरीज तो अपने साथ डुलाने वाला पंखा तक लेकर आते हैं। वहीं वार्डों में दोपहर होते ही गंदगी भी दिखना शुरू हो जाती है। तीमारदार और मरीज सफाई कर्मियों को बुलाते हैं लेकिन वे आते नहीं हैं।

लोहिया संस्थान

मरीज गंभीर है तो पहले स्ट्रेचर तलाश लें

लोहिया संस्थान में रोज तीन से चार हजार मरीज आते हैं, वहीं 300 के करीब मरीज रोज इमरजेंसी में भी आते हैं। यहां स्ट्रेचर और व्हीलचेयर की काफी कमी बनी हुई है। कई बार यहां स्ट्रेचर के लिए गंभीर मरीजों को भी एंबुलेंस में घंटों इंतजार करना पड़ता है। तीमारदार इधर-उधर व्हीलचेयर और स्ट्रेचर तलाशते रहते हैं। वहीं ओपीडी में भी मरीजों को कुर्सियों की कमी होने के चलते घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है।

क्या बोले मरीज?

यहां पर गर्मी बहुत है। उससे बचाव का कोई इंतजाम नहीं है। जिसकी वजह से काफी परेशानी होती है। इस ओर ध्यान दिया जाए।

- उषा किरण

यहां केवल एक पंखा लगा हुआ है। इसलिए गर्मी से बचाव के लिए 800 रुपये का अलग से पंखा लिया है। ताकि गर्मी से कोई राहत मिल सके।

- प्रभा

यहां काफी भीड़ रहती है। ऐसे में बैठने की बड़ी समस्या रहती है। मरीज खड़े रहकर ओपीडी में नंबर आने का इंतजार करते रहते हैं।

- प्रेमा

क्या बोले जिम्मेदार?

सभी मरीजों का ध्यान रखा जाता है। अगर कोई समस्या है तो शिकायत कर सकते हैं। उसे तत्काल दूर किया जाएगा। किसी मरीज को कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी।

- डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू

मरीजों और तीमारदारों के बैठने के लिए इंतजाम किये जा रहे है। इसके लिए जल्द ही कुर्सियां लगवाई जाएंगी, ताकि किसी को कोई दिक्कत न हो।

- डॉ। आरपी सिंह, सीएमएस सिविल अस्पताल

कुछ एसी खराब हैं। कुछ एसी लगाने के लिए मांग की गई है। कूलर की आवाज से मरीज परेशान होते हैं। ऐसे में उनकी शिकायत पर उनको हटाया गया है।

- डॉ। जीपी गुप्ता, सीएमएस बलरामपुर अस्पताल

संस्थान में स्ट्रेचर और व्हील चेयर पर्याप्त संख्या है। किसी मरीज को कोई दिक्कत नहीं आने दी जाती है। अगर कहीं कोई कमी लगती है तो उसे ठीक किया जाएगा।

- डॉ। विक्रम सिंह, एमएस लोहिया संस्थान